उत्तराखण्ड के लोकायुक्त कार्यालय में 2012 में एक रिश्वत के मामले में, जयप्रकाश सिंह, एक कनिष्ठ अभियंता को तीन साल के कारावास और 50,000 रुपये के दंड के तहत सजा सुनाई गई है ।
जानकारी के अनुसार, कनिष्ठ अभियंता जयप्रकाश सिंह ने देहरादून में अनियमितता के सम्बन्ध में सम्पादित की जा रही जांच को अपने पक्ष में करवाने के लिए लोकायुक्त कार्यालय के जांच अधिकारी मान सिंह रावत को 50,000 रुपये की रिश्वत का प्रस्ताव दिया था । शिकायतकर्ता ने यह दावा किया कि वह रिश्वत नहीं लेना चाहता था और उसने सतर्कता अधिष्ठान को इसकी सूचना दी, जिसके बाद अभियुक्त को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया।
मामले की जांच करते हुए, सतर्कता अधिष्ठान के ट्रैप टीम ने जयप्रकाश सिंह को 20 मार्च 2012 को मान सिंह रावत की शिकायत पर 50,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था ।
मामले की सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश एडीजे-7, अंजली नौलियाल ने अभियुक्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 12 के तहत दोषी पाया और उसे उन्हें 3 साल का सजा और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
सतर्कता अधिष्ठान के अभियोजन अधिकारी अनुज साहनी ने बताया कि यह सजा भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की कड़ी कार्रवाई का संकेत है। उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि उनसे किसी लोक सेवक द्वारा रिश्वत की मांग की जाती है तो वे बिना किसी भय के शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1064 पर संपर्क कर सकते है ।