Joshimath Sinking : विशेषज्ञों ने रिपोर्ट सौपी, भू-धंसाव के कई कारण आए सामने
जोशीमठ में भू-धंसाव की स्थिति लगातार बढ़ती जा रही है । दरारें और चौड़ी हो रही हैं और भूमि हर रोज धंस रही है, बद्रीनाथ हाईवे भी धंस रहा है ।
जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव पर विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है । विशेषज्ञों ने जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के कई कारण बताए हैं ।
श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के भूगोल तथा भूगर्भ विज्ञानियों के दल ने जोशीमठ आपदा के कारण तथा भविष्य की योजना को लेकर अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय के कुलपति को सौंपी है। रिपोर्ट में टीम ने जोशीमठ की प्राकृतिक संरचना के साथ हुए छेड़छाड़ को बड़ा कारण माना है। टीम ने कई महत्वपूर्ण सुझाव भी अपनी रिपोर्ट में दिए हैं।
जोशीमठ में भू-धंसाव का अध्ययन करने के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया था जिसमें श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर में कला संकाय के डीन तथा भूगोल विभाग से विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर डीसी गोस्वामी, भूगर्व विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ कृष्ण नौटियाल तथा जोशीमठ परिसर के भूगर्भ विभागाध्यक्ष डॉक्टर अरविंद भट्ट शामिल थे।
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क्या कहती है विशेषज्ञों की रिपोर्ट ?
- उन्होंने बताया कि जोशीमठ में सतह का ढलान तथा भूगर्भीय चट्टानों का ढलान एक ही दिशा में है। यह क्षेत्र एक लंबे समय तक ग्लेशियर रहा है, जिससे यहां सतह पर ग्लेशियर से टूट कर आए बड़े भारी बोल्डर जमा हैं।
- उन्होंने बताया कि जोशीमठ के नीचे भूगर्भीय जल का बड़ा भंडार है। यहां टनल की खोदाई के चलते इस भूगर्भीय जल भंडार में रिसाव पैदा हो गया था, जो इस आपदा का बड़ा कारण बना।
- इसके अतिरिक्त जोशीमठ जिस भूगर्भीय संरचना के ऊपर बसा है। वहां अत्याधिक तथा असीमित निर्माण भी इसका बड़ा कारक है।
विशेषज्ञों ने बताया की जोशीमठ में ऊंचे भवनों का निर्माण नहीं होना चाहिए था लेकिन यहां 8 मंजिला तक ऊंचे भवनों का निर्माण हुआ है । इसके अलावा जोशीमठ में बड़े तर पर निर्माण कार्यों को अंजाम दिया गया है ।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एम एस रावत ने कहा की ये रिपोर्ट प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू और आपदा प्रबंधन विभाग को प्रेषित की जाएगी ।