Joshimath Sinking : विशेषज्ञों ने किया खुलासा, तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना से पड़ रही दरारें

जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव पर विशेषज्ञों की रिपोर्ट सामने आ गई है, इस रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं । श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय ने जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के कारणों को जानने के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई थी ।

इस समिति में फैकल्टी ऑफ आर्ट्स के डीन और भूगोल के विभागाध्यक्ष प्रो. डीसी गोस्वामी, भूगोल विभाग के डॉ. श्रीकृष्ण नौटियाल और श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय गोपेश्वर कैंपस के भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद भट्ट को शामिल किया गया था ।

समिति ने 25 जनवरी से 28 जनवरी तक जोशीमठ में भू-धंसाव का अध्ययन कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर विश्वविद्यालय के कुलपति को सौंपी ।

क्या कहती हैं रिपोर्ट ?

विशेषज्ञों की रिपोर्ट में सामने आया है की जोशीमठ में चल रही एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना में हुई सुरंग खुदाई में एक्वीफर (मिट्टी की परत जिसमें पानी रुक सकता है) में छेद हो गए जो भू-धंसाव का कारक है ।

विशेषज्ञों ने बताया की जोशीमठ की भौगोलिक संरचना को देखते हुए यहां बड़े स्तर पर निर्माण कार्य हुए हैं । उन्होने बताया की जोशीमठ में भूमि की सतह और बोल्डरों की ढलान एक ही है ।

उन्होने कहा की एनटीपीसी की सुरंग की खुदाई के दौरान एक्वीफर में पंचर हो गया, जिससे गांव तक जाने वाले जलस्त्रोत भी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि जेपी के पावर प्रोजेक्ट के पास 580 लीटर प्रति मिनट से हुआ भूजल रिसाव इसका प्रमाण है।

उन्होने बताया की जोशीमठ में 25 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले भवनों का निर्माण नहीं होना चाहिए था लेकिन नगर में कई मंजिला ऊंची इमारतों का निर्माण हुआ है ।

क्या है समाधान ?

विशेषज्ञों का कहना है की जोशीमठ में बढ़ रहे भू-धंसाव का फिलहाल कोई पक्का समाधान नहीं है लेकिन अधिक ऊंचाई वाले भवनों को तोड़कर पुनर्स्थापन ही एक उपाय है ।

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