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Joshimath News : दो महीने में छह सेमी से एक मीटर तक धंसा जोशीमठ, एनजीआरआई की रिपोर्ट में खुलासा

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ में पिछले दो महीनों में छह सेमी से एक मीटर तक भू-धंसाव हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च (एनजीआरआई), हैदराबाद की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

उत्तराखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जोशीमठ में दो महीने में 6 सेमी से 1 मीटर तक भू-धंसाव हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च (एनजीआरआई), हैदराबाद द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।

अध्ययन के अनुसार, जोशीमठ में भू-धंसाव का मुख्य कारण ओवर बर्डन सामग्री (एक बहुत पुराना भूस्खलन) की मोटी परत है, जो ग्लेशियर और लैंडस्लाइड से जमा हुई है। इस मलबे में करीब 15 मीटर की मोटी परत कम कठोरता वाली मृदु मिट्टी से बनी है। दूसरी परत 20 मीटर पर है, जो अधिक कठोर और घनी है। इसके नीचे एक बार फिर से कम कठोरता वाली परत है।

अध्ययन में पाया गया है कि जोशीमठ शहर के आसपास का क्षेत्र मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) फॉल्ट-लाइन के ऊपर बसा है। यह लाइन हेलंग में जोशीमठ के दक्षिण के करीब से गुजरती है, जिससे चट्टानें संरचनात्मक रूप से कमजोर और कट जाती हैं।

एनजीआरआई ने तीन तरीके से सर्वे को अंजाम दिया है। इसमें एक कृत्रिम भूकंप, दूसरा जमीन के भीतर बिजली का करंट पास करके और तीसरा जमीन के भीतर लेजर की किरणें भेजकर। इन तीनों सर्वे के नतीजे के आधार पर इन्होंने अपनी रिपोर्ट बनाई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ में दरारें ज्यादातर मोटे आवरण वाले क्षेत्रों में देखी गई हैं। जमीन में दरारें 50 सेंटीमीटर तक चौड़ी हैं। इनकी चौड़ाई अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग है। जबकि गहराई 20 से 35 मीटर से भी अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ में भू-धंसाव के कारणों में अनियंत्रित विकास, प्राकृतिक नालों का अवरुद्ध होना और ग्लेशियर पिघलने के कारण भारी बारिश शामिल हैं।

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