Uttarkashi Tunnel: जाँच नहीं हुई, पर फिर से शुरू होगा सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कार्य
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सिलक्यारा सुरंग के निर्माण कार्य की दुबारा शुरुआत इसी माह से होगी। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) ने इसकी तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। इससे पहले, 41 मजदूर 17 दिन तक सुरंग में कैद रहने के बाद बाहर निकाले गए थे। इस घटना के बाद से ही सुरंग निर्माण को लेकर सवाल उठ रहे थे।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 41 मजदूरों के 17 दिन तक फंसे रहने के बाद चर्चाओं में आई सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कार्य इसी माह से शुरू होगा। राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों के मुताबिक मलबा हटाने और सुरंग का निर्माण कार्य इसी माह से शुरू होगा। निर्माण कार्य शुरू करने से पहले पहले भूगर्भीय सर्वेक्षण और सेफ्टी ऑडिट किया जाएगा। इसके साथ ही मलबा हटाने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा।
अधिकारियों के मुताबिक, पहले इस सुरंग को इसे पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2024 था, हालांकि, हादसे के बाद यह लक्ष्य थोड़ा पीछे हटता नजर आ रहा है।
आपको बता दे की सिलक्यारा सुरंग हादसे को लेकर अभी तक कोई जाँच नहीं बैठाई गई है । 12 नवंबर की सुबह सुरंग के सिलक्यारा की ओर वाले सिरे में करीब 56 मीटर तक मलबा आने के बाद 41 मजदूर भीतर फंस गए थे। केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने बमुश्किल 17वें दिन उन्हें सकुशल बाहर निकाल दिया था। देश विदेश में इस ऑपरेशन की काफी चर्चा रही किन्तु प्रदेश में इतना बाद हादसा होने के बाद भी सरकार द्वारा हादसे के कारणों को लेकर किसी भी तरह की जाँच नहीं बैठाई गई है ।
टनल रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सिलक्यारा सुरंग से मजदूरों को बचाव के लिए राज्य सरकार ने वैज्ञानिकों की एक टीम को जांच सौंपी थी, जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी थी। उस रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर ही बचाव अभियान चला था। इतनी बढ़ी घटना के पीछे क्या कारण रहे, किसकी लापरवाही रही इस बात पर अभी भी पर्दा पड़ा हुआ है ।
वही सिलक्यारा सुरंग की डीपीआर में जो भूगर्भीय जांच की रिपोर्ट लगी हुई है, वह गलत निकली। निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट में इस पहाड़ में हार्ड रॉक का होना बताया गया था , लेकिन जब निर्माण शुरू हुआ तो यहाँ से भुरभुरी मिट्टी निकली। इसी वजह से अब दोबारा जियो सर्वे कराया जाएगा।
सिलक्यारा सुरंग 4500 मीटर (4.5 किमी) लंबी है। सिलक्यारा की ओर से करीब 2,350 और दूसरे बड़कोट छोर से करीब 1,600 मीटर तक सुरंग खोदी जा चुकी है। बीच का करीब 483 मीटर हिस्सा ही बचा हुआ है। इसकी खोदाई पूरी होने के बाद सुरंग आरपार हो जाएगी। इस सुरंग का निर्माण 853.79 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है।