सोशल मीडिया के दौर में ज़िंदगी ‘REEL’ नहीं ‘REAL’ है
आजकल के युवाओं में सोशल मीडिया इस कदर हावी हो गया है की वह असल ज़िंदगी को जीना ही भूल गए है वह केवल मोबाइल फ़ोन को ही अपनी दुनिया मानने लगे है।
इन दिनों युवाओं में सोशल मीडिया का क्रेज बढ़ चढ़ कर बोल रहा है। सोशल मीडिया की दुनिया में प्रचलित हो कर लाखों की कमाई का सपना देख वह अपनी असल ज़िंदगी की सच्चाई से कोसों दूर हो चुके है। युवाओं के दृष्टिकोण के हिसाब से इस समय कम समय में दुनिया भर में प्रसिद्ध होने का एक मात्र विकल्प सोशल मीडिया में रील बनाना ही है ऐसे में वह दिन भर अपने घरो में ही कैद हो कर मोबाइल फ़ोन के आगे रील बनाते है, जो की पूरी तरह से गलत है।
आजकल के युवा ज्यादा मेहनती काम करना पसंद नहीं करते है यह बात अलग यही की एक रील बनाने में भी बहुत म्हणत है लेकिन ज़िंदगी में अगर एक अच्छा नाम कमाना हो तो इस लत से दूर होना ही बेहतर है। युवाओं में कम समय में ज्यादा पैसो की यह आदत कई बार उनके लिए ही मुसीबत खड़ी कर देती है। अगर एक रील में 70हज़ार व्यूज देख वह जितने खुश होते है वही अपनी ही दूसरी रील में केवल 70 व्यूज देख वह निराश हो जाते है। कई बार तो वह अपनी रील में कम व्यूज और सब्सक्राइबर देख इतने निराश हो जाते है की कुछ गलत करने को मजबूर हो जाते है और ऐसे कई उदाहरण हम रोज सुनते है।
सोशल मीडिया की दुनिया केवल मनोरंजन के लिए है इसे दिल से लगाना आपकी मूर्खता ही होगी। आपके लिए आपकी फैमिली और दोस्तों को समय देना महत्वपूर्ण है। सोशल मीडिया का काला सच यह है कि यह आपको अपना आदि बना कर रखता है और आपका समय पूरी तरह से बर्बाद करता है। कितने ही लोगों ने फेमस होने के चक्कर से अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी है।
सोशल मीडिया पर जल्दी फेमस होने के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार है अगर किसी के पास कोई हुनर नहीं है तो वह अश्लील कंटेंट पोस्ट करता है। अब तो लोग इस वायरल होने के ट्रेंड में इतना आगे बढ़ गए है की अणि निजी ज़िंदगी की गतिविधियां भी पोस्ट कर देते है और अन्य लोगो द्वारा किसी भी प्रकार की कोई रोक टोक उन्हें बर्दास्त नहीं और अपनी मर्ज़ी और आज़ादी का ब्यान दे बस वायरल होकर पैसा कमाना चाहते है।
आज के इस दौर में कई बार गलती अभिभावकों की भी रहती है अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही फोन का उपयोग करने देना सबसे बड़ी गलती है। आप अपने बच्चों को व्यवस्त रखने के लिए बाहरी दुनिया से भी रूबरू करवा सकते है। उनको खेलों के प्रति जागरूक कराएं, पढ़ाई का महत्व ज्यादा बताएं और भी कई अन्य गतिविधियां करवाते रहे जिससे वह व्यवस्त रहे और फ़ोन की दुनिया से दूर रहे। ज्यादा फ़ोन चलाने के कारण उनकी आदतों में चिढ़चिढ़ा पन आ जाता है और ऐसे में कभी अगर माता-पिता उनको फ़ोन चलने से मना करे तो वह आक्रामक भी हो जाते है।
आपके घर में या आपके आस-पास भी कोई ऐसा मौजूद हो तो उन्हें इस लत का शिकार होने से बचाएं उन्हें बताए की यह बस कुछ समय के लिए मिली शोहरत होती है जो की ज़िंदगी भर आपके साथ नहीं रह सकती।