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India vs Bharat : इंडिया को भारत बनाने में कितना होगा खर्चा ?

जबसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के G20 राष्ट्राध्यक्षों को भेजे गए रात्रिभोज निमंत्रण पत्र पर  “ President Of India” की जगह “President Of Bharat” लिखा गया है तबसे सोशल मीडिया पर इंडिया बनाम भारत की जंग तेज हो गई है ।

सत्तारूढ़ दल भाजपा और विपक्ष के बीच में आजकल भारत बनाम इंडिया का युद्ध चल रहा है । जबसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के G20 राष्ट्राध्यक्षों को भेजे गए रात्रिभोज निमंत्रण पत्र पर पारंपरिक “ President Of India” की जगह “President Of Bharat” लिखा गया है तबसे ही विपक्ष से लेकर सोशल मीडिया पर लोग तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे है ।

इन सबके बीच इंडिया का आधिकारिक नाम भारत करने की मुहिम को एक बल मिला है । असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा समेत कई भाजपा नेताओं ने इस बात का समर्थन भी किया था ।

वही विपक्ष का कहना है की सत्तारूढ़ दल विपक्ष के नवनिर्मित I.N.D.I.A गठबंधन के नाम से डर गया है । कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यहां तक दावा किया कि संविधान के अनुच्छेद 1 पर हमला हो रहा है। आपको बता दे की भारतीय संविधान में अनुच्छेद 1 के अनुसार  “इंडिया, जो कि भारत है, एक ‘राज्यों का संघ’ है…”।

G20 सम्मेलन के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी के सामने रेखी नेम प्लेट पर इंडिया की जगह भारत लिखा देखा गया। वही खबरों की माने तो सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर को बुलाए जाए संसद के विशेष सत्र के दौरान इस बारे में कोई प्रस्ताव सरकार संसद में पेश कर सकती है । इस सबके बीच एक चर्चा का विषय यह भी है की आखिर इस नाम बदलने की प्रक्रिया में कितना खर्च आएगा।

कितना खर्च आएगा इसको हम कुछ उदाहरण के साथ समझते है । मान लीजिए आपको अपना नाम बदलवाना है तो आप क्या करेंगे ? अखबार में इश्तेहार देंगे फिर अदालतों में जाकर अपना नाम बदलवाएंगे तो इन सब में कुछ खर्चा होगा , या आपको सिर्फ अपने घर की “ नेम प्लेट” ही बदलवानी है तो उसमें में कुछ खर्च तो होगा ही फिर यहाँ तो हम देश की बात कर रहे है । इंडिया को भारत करने के बाद सरकार को पूरे भारत के सभी दस्तावेजों पर नाम बदलना होगा , रोड साइन भी बदलने होंगे शायद INDIA GATE और GATEWAY OF INDIA सरीखे स्मारकों के भी नाम बदले फिर यहाँ जाने वाले रास्तों के भी बदलने पड़ेंगे उन रास्तों पर पड़ने वाले दफ्तरों के पते भी बदल जाएंगे । नोट से लेकर कागजों, वेबसाइटों, आर्मी की यूनिफॉर्म, और यहां तक कि लाइसेंस प्लेट में भी यह बदलाव दिखाई देगा ।

एक तरह से देखा जाए तो यह किसी कॉर्पोरेट हाउस की  रीब्रांडिंग जैसा होगा । अगर कोई कंपनी अपना नाम बदलना चाहती है तो कागजों में, बैंक में और उन तमाम जगह उनको अपना नाम बदलना होगा साथ ही  एक बड़ा खर्च लोगो बदलने और लोगों के दिमाग में अपनी छवि की रीब्रांडिंग बनाने में भी लगेगा ।

एक्सपर्ट्स की मानें तो कॉर्पोरेट हाउस की औसत मार्केटिंग कॉस्ट उसके कुल रेवेन्यू का 6 प्रतिशत होती है।  दूसरी ओर रीब्रांडिंग की कवायद उसके मार्केटिंग बजट का 10 प्रतिशत या उससे कुछ ज्यादा हो सकती है ।

यह तो सिर्फ एक कंपनी की बात हुई अब सोचिए अगर बात एक पूरे देश की हो तो उसमें कितना खर्च आएगा ?

कितना खर्च आएगा इंडिया को भारत करने में ?

वैसे तो इस बात का कोई फिक्स्ड फॉर्मूला नहीं है की किसी देश का नाम बदलने में कितना खर्चा आएगा पर आउट्लुक इंडिया में छपी एक रिपोर्ट में इसका आकलन किया गया है । रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉयर डैरेन ऑलिवियर इसपर लंबे समय से काम कर रहे हैं । उन्होंने साल 2018 में साउथ अफ्रीकी देश स्वाजीलैंड का नाम बदले जाने पर लंबी स्टडी की थी जिसको ऑलिवियर मॉडल भी कहा जाता है । स्वाजीलैंड उसका नाम इस्वातिनी किया जाने में लगभग 60 मिलियन डॉलर ( लगभग 5 सौ करोड़ ) का खर्च आया था ।

आउट्लुक इंडिया में छपी रिपोर्ट में ऑलिवियर मॉडल के हिसाब से भारत का नाम बदलने के बारे में कहा गया है की इसमें करीब 14 हजार 304 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है । आपको बता दे की लगभग इतना ही पैसा केंद्र सरकार देशवासियों की फूड सिक्योरिटी पर खर्च करती है , जिससे 80 करोड़ भारतीयों को खाना मिलता है ।

आउट्लुक की ही एक अन्य खबर के अनुसार  साल  2018  में इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज करने पर राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने पड़े थे  ।

Photo Credit : https://business.outlookindia.com/

इन सबके बीच एक सवाल जो जेहन में आता है वो ये है की क्या इतनी कीमत देकर नाम बदलना एक सही प्रक्रिया होगी ? क्या इससे देश को और देश के नागरिकों को कुछ हासिल होने वाला है ? चीन , जापान , कोरिया समेत तमाम देशों के अपनी-अपनी भाषा में अलग नाम है और अंग्रेजी में अलग , उदाहरण के तौर पर दक्षिण कोरिया का नाम कोरियन भाषा में Hanguk (한국韓國) ) है और जापान का जापानी में Nippon या Nihon (日本 ) । जब यह देश अपने दोनों नाम के साथ रह सकते है तो क्या हम नहीं ? वैसे अभी नाम बदलने को लेकर सिर्फ चर्चा ही की जा रही है और सरकार की तरफ से भी इस विषय में पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा गया है लेकिन फिर भी भारत बनाम इंडिया की इस बहस पर चर्चा होना तो लाजमी ही है और फिर कफ़ील आज़र अमरोहवी की वो नज़्म तो आपको याद ही होगी , “बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी ।“

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