राजस्व पुलिस व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था को खत्म करने में हो रही हीला हवाली पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव को तीन सप्ताह में व्यक्तिगत शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं।

कोर्ट ने शपथ पत्र में यह बताने को कहा है कि वर्ष 2018 में इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का क्या हुआ?

दरअसल नैनीताल हाईकोर्ट ने 13 जनवरी 2018 को सरकार को निर्देश दिए थे कि उत्तराखंड में लागू 157 वर्ष पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था, छह महीने के भीतर खत्म कर अपराधों की विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौंप दिया जाए।
कोर्ट ने छह महीने के भीतर प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में थानों की संख्या बढाने के निर्देश भी दिए थे।

नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश के साढ़े चार साल बीतने के बाद भी इस पर अमल नहीं हुआ है।

हाल ही में हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड में राजस्व पुलिस की व्यवस्था सवालों के घेरे में है, जिसके बाद इस व्यवस्था को खत्म किए जाने की मांग जोरों पर है।

देहरादून की एक सामाजिक संस्था ने हाईकोर्ट में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की है। बीते रोज इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए।

याचिका में कहा गया कि यदि राज्य सरकार ने 2018 में दिए हाईकोर्ट के निर्देश का पालन किया होता तो अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच में इतनी देरी नहीं होती। याचिका में राजस्व पुलिस व्यवस्था को खत्म करने की मांग की गई है।

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