हेल्थ: जाने सर्वाइकल कैंसर के कारण, लक्षणों और बचाव को बारीकी से
ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण के कारण होने वाला सर्वाइकल कैंसर का शिकार ज्यादातर महिलाएं होती है। एचपीवी वायरस का एक समूह है जो दुनिया भर में बेहद आम है।
मॉडल और अदाकार पूनम पाण्डे का अपनी मौत का झूठा प्रचार प्रसार करना सभी को सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूक करना था। हालाकिं उनका यह तरीका थोड़ा विचित्र जरूर था। लेकिन सर्वाइकल कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के बारे में सबको जागरूक होना बहुत जरुरी है। तो आज हम आपको बतायंगे की आखिर क्या होता है सर्वाइकल कैंसर , क्या है इसके कारण, लक्षण और इसके बचाव।
क्या होता है सर्वाइकल कैंसर
आमतौर पर सर्वाइकल कैंसर की बीमारी महिलाओं में ज्यादा होती है। सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण के कारण होते हैं। जो की एक प्रकार का समूह है और बेहद ही आम है। एचपीवी के दो प्रकार (16 और 18) 70 प्रतिश्त सर्वाइकल कैंसर और कैंसर से पहले के सर्वाइकल घावों का कारण बनते हैं। एचपीवी को गुदा, योनी, योनि, लिंग और ऑरोफरीनक्स के कैंसर से जोड़ने के प्रमाण भी हैं।
एचपीवी संक्रमण की सबसे आम वजह शारीरिक संबंध मानी जाती है। कई बार संभोग के दौरान स्किन-टू-स्किन संपर्क की वजह से भी, इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा, किसी कट लगने की वजह से भी संक्रमित कर सकता है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
पेल्विस में दर्द होना
यूरिन में खून आना
शारीरिक संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग होना
पीरियड्स के दौरान नॉर्मल से अधिक ब्लीडिंग होना
पीरियड्स खत्म होने के बाद भी ब्लीडिंग होना
खूनी या पानी जैसा वेजाइनल डिसचार्ज होना, जिसमें से अजीब से गंध आए
थकान
भूख न लगना
पीठ में दर्द
पैरों में सूजन
सर्वाइकल कैंसर की स्टेज
कैंसर की स्टेजिंग का उद्देश्य यह आकलन करना है कि कैंसर कितनी दूर तक फैल गया है और क्या यह आस-पास की संरचनाओं या अधिक दूर के अंगों तक पहुंच गया है।
स्टेज 0ः प्रीकैंसरस कोशिकाएं मौजूद होती हैं।
स्टेज 1ः कैंसर कोशिकाएं सतह से गर्भाशय ग्रीवा के गहरे ऊतकों में और संभवतः गर्भाशय में और पास के लिम्फ नोड्स में विकसित हो गई हैं।
स्टेज 2ः कैंसर अब गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय से आगे बढ़ गया है, लेकिन श्रोणि की दीवारों या योनि के निचले हिस्से तक नहीं पहुंचा। यह पास के लिम्फ नोड्स को प्रभावित कर भी सकता है और नहीं भी।
स्टेज 3ः कैंसर कोशिकाएं योनि के निचले हिस्से या श्रोणि की दीवारों में मौजूद होती हैं, और यह मूत्रवाहिनी, मूत्राशय से मूत्र ले जाने वाली नलियों को अवरुद्ध कर सकती हैं। यह पास के लिम्फ नोड्स को प्रभावित कर भी सकता है और नहीं भी।
स्टेज 4ः कैंसर मूत्राशय या मलाशय को प्रभावित करता है और श्रोणि से बाहर बढ़ रहा है। यह लिम्फ नोड्स को प्रभावित कर भी सकता है और नहीं भी। बाद में चरण 4 में, यह लिवर, हड्डियों, फेफड़ों और लिम्फ नोड्स सहित दूर के अंगों में फैल जाएगा।
सर्वाइकल कैंसर के रिस्क फैक्टर्स
स्मोकिंग की वजह से एचपीवी इन्फेक्शन का लंबे समय तक रह सकता है, जिस वजह से सर्विक्स के सेल्स प्रीकैंसरस सेल्स में बदल सकते हैं।
शरीर में एचपीवी को खत्म करने की जिम्मेदारी इम्यून सिस्टम की होती है, लेकिन अगर इम्यूनिटी कमजोर है, तो एचपीवी को खत्म करना काफी मुश्किल हो सकता है।
कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाने से भी एचपीवी के संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है।
एक से अधिक व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने की वजह से एचपीवी के संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है।
सर्वाइकल कैंसर का उपचार
समय रहते सर्वाइकल कैंसर का पता लग जाने पर इसके उपचार हेतु कदम उठाना बेहद ही जरुरी हो जाता है।
पहला तो यदि डॉक्टर आपको सर्जरी तो यह बात समझे की सर्जरी में डॉक्टर कभी-कभी केवल गर्भाशय ग्रीवा के उस क्षेत्र को हटा सकते हैं जिसमें कैंसर कोशिकाएं होती हैं। सर्जरी के माध्यम से कैंसर को जितना हो सके उतना दूर करते है। कैंसर के लिए जो अधिक व्यापक है, सर्जरी में श्रोणि में गर्भाशय ग्रीवा और अन्य अंगों को निकालना शामिल हो सकता है।
रेडिएशन थेरेपी के माध्यम से हाई-एनर्जी एक्स-रे बीम का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को मारता है। इसे शरीर के बाहर एक मशीन के जरिए डिलीवर किया जा सकता है। इसे गर्भाशय या योनि में रखी धातु की ट्यूब का उपयोग करके शरीर के अंदर से भी पहुंचाया जा सकता है।
इम्यूनोथेरेपी में इम्यून सिस्टम को एक्टिव किया जाता है, ताकि वह कैंसर सेल्स को पहचान कर, उन्हें नष्ट कर सके।
कीमोथेरेपी में पूरे शरीर में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। डॉक्टर यह इलाज साइकिल में दिया जाता है। आपको कुछ समय के लिए कीमो मिलेगा। फिर आप अपने शरीर को ठीक होने के लिए समय देने के लिए उपचार बंद कर देंगे।