धर्मनगरी हरिद्वार (Haridwar) से एक बेहद ही निर्ममता की हद पार कर देने वाली खबर सामने आ रही है। गंगा स्नान करने पहुंचे दो परिवार वालों ने अपने ही बच्चों को वहां छोड़ खुद घर की ओर चल दिए। बच्चों को रोता बिलखता देख धर्मशाला कमेटी के प्रबंधक ने उन्हें पुलिस के सुपुर्द कर दिया है। कांवड़ के दौरान जल भरने आए दो परिवारों ने अपने बच्चों को धर्मनगरी में ही छोड़ दिया था।
महाशिवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में लोग गंगा घाट(Ganga Ghat) जल भरने पहुंचते है। ऐसे में कई लोग अपनों से बिछड़ जाते है तो खोया पाया केंद्र से अपनों की तलाश करते है। इसी बीच दो दंपतियों के बच्चों से बिछड़ने की बात सामने आई।
इनमे से एक व्यक्ति ऐसा था जो बुलंदशहर सिकंदराबाद से अपने तीन बच्चों के साथ हरिद्वार पहुंचा था। लेकिन अपने तीन बच्चों जिनमें एक बेटी दस वर्ष, बेटा नौ वर्ष और दूसरी बेटी 8 वर्ष की थी उन्हें वहीं छोड़ चला गया। व्यक्ति ने धर्मशाला में कमरा लिया था और महाशिवरात्रि के दिन तीनों बच्चों को धर्मशाला के बाहर छोड़कर फरार हो गया। तीनों बच्चों को रोटा बिलखता देख धर्मशाला प्रबंधक कमेटी के साथ रामकुमार कोतवाली पहुंचे और बच्चों को पुलिस के सुपुर्द किया।
व्यक्ति की पत्नी ने दो साल पहले छोड़ दिया था। वह सिकंदराबाद निवासी एक युवक के साथ हरिद्वार चली आई। बड़ी बेटी का कहना है कि उसकी मां गंगा घाट(Ganga Ghat) पर दिखी थी, लेकिन पिता से नहीं मिली। बच्चों ने भी उससे मनुहार की, लेकिन वह नहीं मानी। इस पर उसके पिता ने उन्हें लावारिस हाल में छोड़ दिया। वहीं, कोतवाली पुलिस का कहना है कि बच्चों की मां को बुलाया गया है। पिता को भी जल्द ही आने के लिए कहा गया है। आपसी समझौते के आधार पर बच्चों को उनके सुपुर्द किया जाएगा।
वही दूसरे मामले में बिहार निवासी दंपती दो वर्ष के बच्चे लेकर मुंडन कराने हर की पैड़ी आए थे। इसी बीच बच्चा गुम हो गया। श्रमिक परिवार बच्चे के लापता होने के बाद चुपचाप रेलवे स्टेशन चला गया। लेकिन फिर से तलाश किया तो हरकी पैड़ी निवासी कालू वर्मा ने बच्चे को पुलिस की सुपुर्दगी में दे दिया था। यहां से दंपती बच्चे को अपने साथ ले गए।