हरिद्वार बाल संप्रेषण गृह में रह रही 16 साल की नाबालिक लड़की द्वारा घर जाने के लिए रची दुष्कर्म की झूठी कहानी से पूरा शासन प्रशासन हिल गया था। नाबालिक द्वारा लगाए आरोपों के बाद विभाग के सचिव, निदेशक, मुख्य पर्यवेक्षण अधिकारी, उप मुख्य पर्यवेक्षक अधिकारी, डीएम, एसपी समेत कई अधिकारी आरोपों की जांच में जूटे रहे।
बताते चलें कि 15 दिसंबर को न्यायिक अधिकारी के निरीक्षण के दौरान बाल संप्रेषण गृह में किशोरी ने अपने साथ दुष्कर्म होने की शिकायत की थी नाबालिक किशोरी ने दो अनुसेविकाओं पर एक मकान में ले जाकर दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने भी दो सदस्य समिति का गठन कर जांच कराई। किशोरी द्वारा लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों के बाद पुलिस ने जांच शुरू की ।
शिकायत के दिन ही कोतवाली पुलिस ने सीडब्लूसी सदस्य रविंद्र रौतेला की तहरीर पर संप्रेषण गृह में कार्यरत 2 महीना कर्मचारियों के खिलाफ पॉक्सो, दुष्कर्म और मारपीट समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी। संप्रेषण गृह में कार्यरत अनुसेवक को निलंबित कर होमगार्ड को विभाग में लौटा दिया।
एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट में भी कोई ऐसी बात सामने नहीं आई है जिसमें दुष्कर्म की पुष्टि हो जब किशोरी से पूछताछ करी तो वह बाल संप्रेषण गृह से घर जाना चाहती थी और जब उसे जाने नहीं दिया तो उसने झूठे आरोप लगाए। किशोरी ने अपने घर जाने के लिए झूठी कहानी रची थी। मामला झूठा निकलने पर संप्रेषण गृह की महिला कर्मचारी दीपा और गंगा निर्दोष निकले। पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस को बंद कर दिया है।