राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण के लिए विधेयक लाएगी सरकार, होमवर्क शुरू
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण बहाल किए जाने के लिए धामी सरकार नए सिरे से विधेयक लाने की तैयारी में जुट गई है। राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाए जाने के बाद सरकार इसकी खामियों को दूर करने के लिए न्याय विभाग से परामर्श ले चुकी है जिसके बाद संशोधित विधेयक का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। प्रस्ताव तैयार करने के बाद सरकार आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक को पारित करा सकती है।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 में उत्तराखंड सरकार के राज्य आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के निर्णय पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट की रोक के बाद वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने क्षैतिज आरक्षण बहाल कराने के लिए विधानसभा से विधेयक पारित करा कर राजभवन की मंजूरी के लिए भेज दिया था। सात साल तक लटकाए रखने के बाद राजभवन ने बीते सितंबर माह में विधेयक सरकार को लौटा दिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजभवन से विधेयक को मंजूरी देने अथवा वापस लौटाने का अनुरोध किया था जिसके बाद राजभवन ने इसे सरकार को लौटा दिया।
राजभवन से विधेयक लौटाए जाने के बाद सरकार ने कहा था कि इसमें मौजूद खामियों को दूर कर संशोधित विधेयक लाया जाएगा। अब धामी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।
साल 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद सरकार ने शहीद आंदोलनकारियों के एक-एक परिजन को सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया था। इसके बाद वर्ष 2004 में सरकार ने सात दिन तक जेल में रहने वाले आंदोलकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने तथा तथा गंभीर रूप से घायल हुए आंदोलनकारियों को 3000 रुपये प्रतिमाह पेंशन देने का निर्णय लिया था।
इसके बाद वर्ष 2011 में सरकार ने चिन्हित आंदोलनकारियों के एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय लिया। इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने के बाद अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी।
इस बीच राज्य. सरकाल समय-समय पर आंदोलनकारियों की पेंशन बढ़ाने का निर्णय लेती रही है। वर्ष 2012 में राज्य आंदोलन में घायलों की पेंशन को बढ़ाकर 5000 रुपये किए जाने के बाद वर्ष 2015 में सरकार ने सभी सक्रिय आंदोलनकारियों के लिए 3100 रुपये मासिक पेंशन देने का निर्णय लिया। बाद में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पेंशन को बढ़ा कर 4500 तथा घायलों को दी जाने वाली पेंशन को बढ़ा कर 6000 रुपये करने का निर्णय लिया।