वन विकास निगम को कंपनी एक्ट में लाने को लेकर शासन स्तर पर कवायद शुरू, कर्मचारियों का विरोध

देहरादून: उत्तराखंड वन विकास निगम को कंपनी एक्ट में लाने के लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू हो गई है। इससे पूर्व शासन ने इस संबंध में वन विकास निगम प्रबंधन से प्रस्ताव मांगा था, जिस पर कि पिछले सप्ताह, पहले दौर की चर्चा भी हो चुकी है। इस प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद वन निगम को कंपनी बना दिया जायेगा। वहीं निगम के कर्मचारियों द्वारा सरकार के इस फैसले का विरोध किया जा रहा हैI बीते 28 फरवरी को शासन स्तर पर हुई बैठक में निगम को कंपनी एक्ट में लाने से होने वाले नफा-नुकसान पर चर्चा की गई। लेकिन कुछ अधिकारियों की अनुपस्थिति और कुछ अन्य तकनीकी कारणों से प्रस्ताव पर प्रारंभिक चर्चा के बाद कोई निर्णय नहीं हो पाया। वर्तमान में निगम में 2828 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 1750 कर्मचारी अधिकारी कार्यरत हैं। जबकि 1078 पद खाली चल रहे हैं। निगम में कार्मिकों की कमी और नए कार्मिकों की भर्ती न होने से संस्थागत कार्यों में दिक्कत आने लगी है। वर्ष 2022 तक 20 प्रतिशत और कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में शासन की ओर से वन निगम को कंपनी एक्ट 2013 के दायरे में लाने पर वन विकास निगम प्रबंधन से प्रस्ताव मांगा गया था। वहीं सरकार के इस फैसले पर वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक डीजेके शर्मा ने कहा कि, जहां तक निगम को कंपनी एक्ट में लाने की बात है, यह एक प्रारंभिक विचार है। इस पर आगे चर्चा की जाएगी। हालांकि अगर ऐसा होता है तो वर्तमान कर्मचारियों की स्थिति पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि वन विकास निगम में ढांचागत सुधार के लिए कुछ बिंदुओं पर चर्चा की गई। निगम की वित्तीय स्थिति संतोषजनक है, लेकिन इसमें और सुधार किए जा सकते हैं। निगम की ओर से संपादित किए जाने वाले कार्यों के अलावा भी अन्य क्या कार्य किए जा सकते हैं, इस पर भी चर्चा की गई। तो वन विकास निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष वीएस रावत ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि निगम को कंपनी एक्ट में लाने या बंद करने का प्रश्न ही नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो कर्मचारी संघ इसका पुरजोर विरोध करेगा। वन विकास निगम को कंपनी एक्ट में लाना या दूसरे विभाग में मर्ज करना आसान नहीं है।
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button