सदाबहार देवानंद…

भारतीय सिनेमा का वह चमकता सितारा अगर आज जीवित होता, तो सारी दुनिया मिल कर उसका 100 वां जन्मदिन मना रही होती। अपने खास स्टाइल और मनमोहक अदाओं वाले सदाबहार सितारे, देव आनंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को गुरदासपुर, पंजाब में हुआ था। और उनका पूरा नाम था धरमदेव आनंद।

चालीस के दशक के शुरूआती दौर में वह अपना घर छोड़ कर 1943 में मुंबई आ गए। उन्हें पहली नौकरी चर्चगेट स्तिथ मिलिटरी पोस्टल के सेंसर विभाग में मिली थी। फिर उन्होने एक प्राइवेट फ़र्म में नौकरी की। अच्छी शक्ल और व्यक्तित्व होने पर बड़े भाई चेतन आनंद से प्रभावित उनका ध्यान फिल्मों की तरफ ही था।

पुणे में आडिशन के बाद उन्हें पहली ब्रेक 1946 की फिल्म हम एक हैं से मिली थी। इसके बाद 1948 फिल्म जिद्दी रिलीस हुई। और इसके अगले साल ही उन्होने बड़े भाई चेतन आनंद के साथ मिल कर अपनी प्रॉडक्शन कंपनी नव चेतन फिल्म्स शुरू की।

अपने 6 दशक के ऊपर के फिल्मी कैरियर में उन्होने 113 फिल्मों में काम किया।उन्होने एक्टर के साथ साथ राइटर, डाइरेक्टर और प्रोड्यूसर के रूप में भी फिल्मों में योगदान दिया। 88 साल की उम्र में 3 दिसंबर 2011 में देव आनंद ने लंदन के एक होटल में अपनी अंतिम सांस ली।

जहाँ उनके उनके पार्थिव शरीर को उनकी फिल्मों के लोकप्रिय गाने “अभी न जाओ छोड़ के” और “गाता रहे मेरा दिल” की धुनों के संगीत के साथ अग्नि को सुपुर्द कर विदा किया गया। देवानंद भारतीय सिनेमा में अपना योगदान देने और अपनी नायब अदाकारी के लिए हमेशा हमारे ज़हन में जिंदा रहेंगे।

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