धर्म-संस्कृति

Durga Ashtami: आज मासिक दुर्गाष्टमी पर इन उपायों को करने से बरसेगी मां दुर्गा की कृपा

हिंदू ग्रंथ के अनुसार सप्ताह में हर दिन विभिन्न देवी-देवताओं की उपासना के लिए विशेष होता है। इसी के अनुसार हर माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। आइए जानते है दुर्गाष्टमी पर किन उपायों को करने से आप पर देवी मां दुर्गा की कृपा बरसेगी।

Durga Ashtami 2023: प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन मां दुर्गा की विशेष रूप से उपासना की जाती है। आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप दुर्गाष्टमी का व्रत रखकर और कुछ खास उपाय करके अपनी इन परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं। यह सभी समस्याएं ज्यादातर सभी लोगों को होती है। जैसे- मन पसंद वर या वधु पाने में मुश्किल आना, दांप्तय जीवन में परेशानियों का आना, बच्चों के करियर में दिक्कत होना, घर में अशांति रहना, हर समय भयभीत रहना आदि। 

हिंदू धर्म में माह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। ठीक इसी प्रकार आज शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है जिसमें मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्ति से प्रसन्न होकर  माता रानी आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती है। नीचे दिए गए उपायों(Durga Ashtami Upay) को पूरे श्रद्धा भाव के साथ करें।

दुर्गाष्टमी उपाय

नई जॉब में सीनियर्स को खुश रखना- यदि आपकी नई जॉब लगी है और आप अपने सीनियर्स को खुश रखना चाहते है तो इस दिन अपनी माता से चावल भेट के रूप में अवश्य लें। ऐसा करने से सीनियर्स आपके काम से अवश्य खुश होंगे।

विशेष कार्य को लेकर बेचैनी होना- अगर आप बीते दिनों से किसी विशेष कार्य को करने से पहले बेचैनी महसूस कर रहे हैं तो आज आपको चंद्रदेव मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। चंद्रदेव मंत्र कुछ इस प्रकार है- सों सोमाय नम।

हर समय भयभीत रहना-  यदि आपको हर समय भय महसूस होता है। तो आप आज मंदिर में पानी से भरा मिट्टी का घड़ा दान करें। भगवान के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। ऐसा करने से आपको भय से जल्द ही छुटकारा मिलेगा।

दाम्पत्य जीवन में अशांति और मनचाहा जीवनसाथी पाना- आज के दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपके दांपत्य जीवन में सुख-शांति आएगी। इसके साथ ही मनचाहे वर या वधु पाने में आ रही परेशानियां भी दूर हो जाएगी।

Disclaimer: यहां मौजूद सूचना सामान्य जानकारियों पर आधारित है। इन मान्यताओं की पुष्टि के लिए संबंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।

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