रेलवे टनल निर्माण के चलते मकानों में पड़ी दरारें, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
नरेन्द्रनगर : खबर ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के लिए बन रही सुरंग निर्माण से जुड़ी हुई है। जिसके चलते अटाली गांव की कृषि भूमि सुरंग निर्माण की जद में आ चुकी है, और मकानों पर दरारें पड़ती जा रही हैं। दरअसल, इन दिनों विधानसभा नरेंद्र नगर की पट्टी दोगी के अटाली गांव के नीचे से होकर जाने वाली रेलवे लाइन सुरंग निर्माण का कार्य जोरों पर है।
खेतों में सिंचाई करते वक्त अटाली के ग्रामीण उस वक्त सकते में आ गए, जब उन्होंने अपने खेतों में लंबी दरारें पड़ी देखीं। मामले में ग्रामीणों का कहना है कि देखते ही देखते ये दरारें 3 दिनों के भीतर 2 से ढाई फुट चौडी़ हो गई हैं। मकानों में दरारें पड़ती जा रही हैं, जिसको लेकर ग्रामीणों में मायूसी, आक्रोश और रेलवे विभाग के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार नरेंद्रनगर अयोध्या प्रसाद उनियाल, रेलवे विकास निगम के उप महाप्रबंधक भूपेंद्र सिंह, सीनियर साइट इंजीनियर पीयूष पंत, जियोलॉजी एवं माइनिंग के निदेशक डॉक्टर अमित गौरव ने गांव में जाकर धंसते हुए खेतों और क्रेक हो रह मकानों का निरिक्षण किया। इसके साथ ही क्षेत्र के प्रतिनिधियों सरदार सिंह पुंडीर, विकास चंद्र रयाल, गजेन्द्र राणा और पीड़ित ग्रामीणों के साथ बैठक कर बातचीत की।
इसको लेकर ग्रामीणों का साफ-साफ यह कहना है, कि जिस माटी से उनका पीढ़ी दर पीढ़ी से साँस्कृतिक, भावनात्मक लगाव है। उस माटी को वे नहीं छोड़ना चाहते, उनकी मांग है कि कृषि भूमि और मकान का उन्हें 10 गुना मुआवजा दिया जाए। हर परिवार में एक व्यक्ति को नौकरी दी जाए। और विस्थापित करना हो तो सरकार यहां नजदीक व्यासी के समीप पूरे गांव को विस्थापित करे।
मौके पर मौजूद अधिकारियों का कहना था कि वे अपने स्तर से पीड़ित ग्रामीणों की समस्याओं एवं उनकी मांगों के संबंध में प्रस्ताव बनाकर तुरंत उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर रहे हैं।
खतरे की जद में आ चुके अटाली के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कभी रेलवे लाइन निर्माण का विरोध नहीं किया। जब पूरा गांव खतरे में आ गया, तो सरकार उनकी मांगे पूरा करे। मायूस और आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार उनकी नहीं सुनती तो वे दूध मुँहे बच्चों व पशुओं सहित सड़कों पर आंदोलन को बाध्य होंगे।