देहरादून को इको सेंसिटिव जोन घोषित किये जाने के बावजूद भी दून में नियमों के विरुद्ध हो रहे विकास कार्यो पर दायर हुई जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई की। देहरादून निवासी आकाश द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि 1989 वर्ष में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने दूनघाटी को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था लेकिन 34 वर्ष बाद भी इस शाशनादेश को प्रभावी तौर पर नहीं लागु किया गया।
दून घाटी में हो रहे कई विकास कार्य, पर्यटन व अन्य गतिविधियां चल रही है सभी नियमविरुद्ध है। साथ ही उन्होंने कहा कि दून में हो रहे विकास कार्यों के लिए न तो मास्टर प्लान है और ना ही पर्यटन के लिए पर्यटन विकास योजना।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए शहरी विकास सचिव को पूछते हुए कहा की देहरादून शहर में बने बल्लीवाला, ISBT फ्लाईओवर का निर्माण किस स्वीकृति मैप, मास्टर प्लान के तहत किया गया ? साथ ही कोर्ट ने इस संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध करने के निर्देश दिए है। साथ ही उत्तराखंड के स्थाई अधिवक्ता से भी इस मामले पर नज़र रखने को कहा गया है।
वही मामले की अगली सुनवाई पांच जनवरी को रखी गई है।