Dehradun lathicharge : दूसरे दिन के धरने के बाद भी स्थिति जस की तस
बीते रोज देहरादून की सड़कों पर सरकार की तानाशाही का एक बदरंग नजारा सबने देखा । दमनकारी नीति किसे कहते हैं उसका इससे बेहतर प्रमाण और हो ही नहीं सकता ।
मामला इतना गंभीर होने के बावजूद सरकार की ओर से एक प्रतिनिधि युवाओं की सुनने नहीं पहुंचा । तो ऐसे में सोई सरकार को जगाने का आखिर दूसरा कौन सा रास्ता बचता ?
पहले दिन हुई भयंकर जद्दो-जहद के बाद शाम को जब युवाओं की गिरफ्तारी हो गई , उसके बाद बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने युवाओं के नाम एक विडियो संदेश भेजा जिसमें उत्तराखंड बंद का आह्वान किया गया था ।
नतीजन पूरे प्रदेशभर में सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त हुआ । सरकार के खिलाफ नारेबाजी और विरोध प्रदर्शनों ने सत्ता की जड़ को हिलाने का काम तो जरूर किया है ।
बहरहाल पहले दिन के विरोध प्रदर्शन के बाद रात में गांधी पार्क और उसके 300 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दी गई । दूसरे दिन सुबह से ही युवा कचहरी स्थित शहीद स्मारक में बैठे और धरना शुरू किया ।
धरने को समर्थन देने के लिए कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी पहुंचे जिनके साथ इंदिरेश मैखुरी और राज्य आंदोलनकारियों समेत देहरादून बार एसोसिएशन के वकीलों ने युवाओं को समर्थन दिया ।
इसके बाद एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने युवाओं को शहीद स्मारक से जाने की बात कही जिसके बाद भारी पुलिस बल को शहीद स्मारक के अंदर और बाहर तैनात कर दिया गया । बाहर से अंदर आने वालों पर पाबंदी लगाई गई ।
उधर युवाओं को समर्थन देने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तबियत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाय़ा गया ।
इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान आया जिसमें उन्होने युवाओं से किसी भी बहकावे में न आने की बात कही और कहा की हम सभी परीक्षाओं को पारदर्शी तरीके से करवाएंगे ।
फिलहाल दो दिन की अबतक के घटनाक्रम के बीच स्थिति जस की तस बनी हुई है । युवा अपनी मांगों पर और सरकार अपनी जिद पर