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देहरादून: कतर की जेल से रिहा होकर अपने घर पहुंचे कैप्टन सौरभ ‘छलके आँसू’

कतर जेल से रिहा होकर कैप्टन सौरभ वशिष्ठ जब अपने घर पहुंचे तो लोगों ने उनका आतिशबाज़ी के साथ जोरदार स्वागत किया।

जासूसी के आरोप में कतर में मौत की सजा सुनाएं जाने के बाद भी वापसी की आस लगाए सभी पूर्व नौ सैनिकों की रिहाई के बाद हर जगह ख़ुशी का माहौल है। रिहा हुए नौसैनिकों में देहरादून के सौरभ वशिष्ठ भी शामिल थे। सोमवार को अपने वतन आने की खबर जैसे ही उन्होंने अपने परिजनों को बताई उनकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।

कल देर श्याम कैप्टन सौरभ वशिष्ठ जैसे ही अपने देहरादून स्तिथ आवास पहुंचे सबसे पहले उन्होंने अपने माता-पिता को गले से लगा लिया। कैप्टन सौरभ वशिष्ठ ने कहा कि कतर के वो दिन अब पीछे है। जो नहीं कर पाया ज़िंदगी में वह अब बची हुई ज़िंदगी में जरूर करेंगे, अपने सपने पूरे करेंगे। कैप्टन सौरभ वशिष्ठ ने कतर में पुराने दिनों को याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि उस मुश्किल समय में केवल 15 से 20 सेकंड तक ही पिता से बात होती थी। कैप्टन सौरभ वशिष्ठ अपनी पत्नी और दोनों बेटियों के साथ देहरादून पहुंचे।

कैप्टन सौरभ वशिष्ठ के घर पहुंचते ही सभी क्षेत्रवासियों ने उनको माला पहना कर उनका जोरदार स्वागत किया। उनकी माता ने सबसे पहले कैप्टन सौरभ वशिष्ठ के तिलक लगा कर उनकी आरती उतारी। अपने बेटे को सकुशल सामने देख वह भावुक हो उठी, जिसे देख सभी की आँखों में ख़ुशी के आँसू आ गए।

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