लंबे समय से आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर वेतन बढ़ोतरी को लेकर सरकार को लगातार घेरने का काम कर रही है कभी सचिवालय का कूच तो तहसील का का घेराव करही है। आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर का कहना कि हमे लंबे समय से सरकार से की जा रही मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं होने से कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं में रोष है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से स्वास्थ्य विभाग समेत कई अन्य विभागों की योजनाओं में भी काम लिया जाता है। बावजूद इसके उनका मानदेय नहीं बढ़ाया जा रहा है। कहा कि सरकार उनकी मांगों को लेकर उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है, मांगों को पूरा करने में टाल मटोल किया जा रहा है। जबकि मांगों के समर्थन में उन्होंने पहले भी धरना प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शन के बाद से उन्होंने ऑनलाइन पोषण ट्रेकर पोर्टल पर भी काम करना बंद कर दिया है। फिर भी सरकार मांगों को अनदेखा कर रही है। उन्होंने कहा कि धरातल पर आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर को बहुत काम करना पड़ता है, लेकिन सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है, उन्हें बहुत ही कम मानदेय दिया जा रहा है। बताया उनका मानदेय दिहाड़ी मजदूर से भी कम है। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेकों योजनाओं से भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को वंचित रखा गया है। गोल्डन कार्ड जैसी सुविधा उन्हें नहीं मिल पा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पारिवारिक आर्थिक सुरक्षा नहीं दी जा रही है। अनहोनी होने पर उनके परिवार को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं मिलती है।
आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (ए॰डब्ल्यू॰डब्ल्यू॰) की ज़िम्मेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे गर्भवती महिलाओं के लिए जन्मपूर्व और प्रसवपूर्व देखभाल सुनिश्चित करते हैं और नवजात शिशुओं और नर्सिंग माताओं के लिए तुरंत निदान और देखभाल करते हैं। वे 6 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के टीकाकरण का प्रबंध करते हैं।
15 से 20 वर्षों से आशाओं को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। उन्होंने संगठन की ओर से आशाओं को प्रोत्साहन राशि के बदले मानदेय निर्धारित किए जाने की मांग की। संगठन ने आशा कार्यकर्ताओं का न्यूनतम मानदेय 18 हजार रुपये प्रतिमाह करने, राज्य कर्मचारी घोषित करने, पांच लाख का निशुल्क बीमा देने, वेज बॉर्ड का गठन करने, सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त पांच लाख रुपये का भुगतान करने, टीकाकरण प्रशिक्षण की ब्लॉक और जिला स्तर पर व्यवस्था करने, शैक्षिक योग्यता के आधार पर पदोन्नत करने, वर्ष में दो बार गणवेश के लिए तीन हजार रुपये भत्ता देने, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपचार सहित 20 मांगे की हैं। व वही आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर का कहना है कि हमें राज्य कर्मचारी बनाया जाया