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Prayagraj में विवाहिता की मौत बनी चिंता का विषय, Uttarakhand में भी अच्छे नहीं हालात

बेटियों से है घर की शान है, बेटियां है घर की जान…… बेटियों के लिए हमारे समाज में ऐसी प्यारी शायरी या कविताएं लिखी जाती है। लेकिन हकीकत क्या है यह सबको पता है। आज इसी पर बात करते है प्रयागराज की दिल दहला देने वाली खबर की।साथ ही अपने राज्य अपनी देवभूमि में महिलाओं की स्थिति पर भी बात करेंगे।

Prayagraj: लगभग रोजाना टीवी, अखबारों और सोशल मीडिया पर महिलाओं के साथ क्रूर हिंसा की खबरें सामने आती है।हैरानी वाली और दुखद बात यह है कि आम जनता अपने सामने होते अपराध के खिलाफ कोई प्रतिक्रिया देने के बजाय चुपचाप मुंह छुपाकर निकल जाती है। ये घटनाएं लड़कियों या महिलाओं के प्रति समाज की बढ़ती असंवेदनशीलता की ओर इशारा करती हैं।

ऐसा ही एक इशारा प्रयागराज में हुई घटना पर जाता है। जहां सट्टी चौरा मोहल्ले में सोमवार देर रात उस समय भारी हंगामा मच गया जब एक विवाहिता की मौत को लेकर मायका पक्ष से जुड़े लोगों ने घर में आग लगा दी। अभी शादी हुए एक महीना ही हुआ था कि एक विवाहिता का शव उसके कमरे के अंदर फांसी के फंदे पर लटकता हुआ मिला। शव को देख लड़की के घर वालो में कोहराम मच गया। मायके पक्ष के लोगों ने ससुरालियों पर हत्या का आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया।

ससुराल पक्ष पर लगाया हत्या का आोरोप

परिजन हत्या का आरोप लगाकर जमकर हंगामा करने लगे। उनका आरोप है कि अंशिका की हत्या कर उसे फांसी के फंदे पर टांग दिया गया है। मौके पर आसपास के रहने वाले लोगों की भीड़ जमा हो गई। इसी बीच किसी ने मकान के निचले हिस्से को आग के हवाले कर दिया। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया और मकान के अंदर ऊपरी तल पर कई लोग फंसे रहे। पुलिस मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाने की कोशिश में जुट गई। पुलिस ने आग की लपटों के बीच फंसे कई लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला। सुबह लगभग 5 बजे घर में सर्च अभियान चलाया गया था। जिसमें घर में दो परिजनों के शव बरामद हुए। मृतक अंशिका के ससुर राजेंद्र केसरवानी और उसकी सास शोभा केशरवानी का शव मिला। दोनों शवों को कब्जे में लेकर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

देवभूमि उत्तराखंड में भी अच्छे नहीं हालात

अब बात करते है देवभूमि उत्तराखंड कि विगत 2 वर्षों की तुलना में वर्ष 2022 में सबसे अधिक चिंता का विषय महिला अपराध से जुड़े बढ़ते मामलों को लेकर है। पिछले 2 सालों की तुलना में 2022 में 28 दिसंबर तक बलात्कार के 857 मामले सामने आ चुके हैं। हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश सहित नौ हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड में महिलाओं और बच्चों से बलात्कार के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। उत्तराखंड राज्य महिला आयोग (यूएससीडब्ल्यू) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में राज्य के जिलों में देहरादून में सबसे अधिक घरेलू हिंसा के मामले दर्ज किए गए हैं।

आज समाज में हर स्तर पर बहुमुखी विकास और लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन फिर भी बढ़ते आक्रोश और दबदबा कायम रखने की प्रवृत्ति के चलते महिलाओं को शारीरिक-मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने की खबरों में कमी नहीं दिखाई दे रहीं हैं। 

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