संस्कृति: हिन्दू मान्यता के अनुसार शुभ कार्य में नारियल फोड़ना क्यों माना जाता है पवित्र? जानें महत्व
हिन्दू धर्म में किसी भी धार्मिक आयोजक के अनुष्ठान में नारियल को एक पवित्र फल माना गया है।
देवताओं की आराधना हो या फिर ग्रह प्रवेश, शादी-विवाह समारोह जैसे आयोजन, हर मांगलिक कार्यक्रम में नारियल का किसी ना किसी रूप में प्रयोग होता है। हिन्दू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की शुरुवात बिना नारियल फोड़े नहीं की जाती। हिन्दू धर्म के अनुसार हर शुभ काम करने से पहले नारियल फोड़ना एक पवित्रता मानी जाती है। हिंदू धर्म में नारियल को पवित्र फल माना गया है। नारियल फोड़ने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसे श्रीफल यानी देवताओं का प्रिय फल भी कहा जाता है।
बहुत लोग नहीं जानते कि हर शुभ कार्य में नारियल क्यों फोड़ा जाता है. इसके पीछे क्या वजह है? तो जानते हैं कि धार्मिक कार्यक्रम में नारियल फोड़ने की परंपरा का क्या महत्व है.
हर शुभ काम में नारियल का प्रयोग
हिंदू धर्म में नारियल को पवित्र फल माना गया है. सभी धार्मिक आयोजन, अनुष्ठान में नारियल का इस्तेमाल किया जाता है. नारियल सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है. देवताओं को नारियल का भोग बेहद प्रिय है, इसलिए भगवान को नारियल चढ़ाने के बाद उसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. नारियल का पानी बेहद पवित्र और सबसे शुद्ध होता है. नारियल के पानी से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है. नारियल का पानी पीने से कई तरह के रोग भी ठीक होते हैं.
मांगलिक कार्य में नारियल का महत्व
नारियल को श्री फल कहते हैं. श्री फल भगवान का प्रिय फल होता है. नारियल की बाहरी सतह को अहं का प्रतीक माना जाता है और अंदर सफेद व नर्म सतह को शांति का प्रतीक माना जाता है, इसलिए नारियल फोड़ने का अर्थ है कि हम अपने अहंकार को भगवान के श्रीचरणों में त्यागते हैं. इसी तरह नारियल की सतह पर तीन निशान बने होते हैं. इन निशानों को भगवान शिव के तीन नेत्र कहते हैं. इससे यश, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है