उत्तरकाशी (Uttarkashi)के सिल्याण गांव के ठीक नीचे सड़क कटिंग का काम हो रहा है। जिसके कारण गांव में भूधंसाव की स्थिति बन गई है। इसके कारण गांव के करीब चार से पांच घरों में दरारे पड़ गई है। साथ ही कुछ पेड़ भी भूधंसाव की चपेट में आ गए है। इसके बाद से वहां मौजूद गांव वासियों में दहशत का माहौल है। मौजूद गांव वासि जिला प्रशासन से सुरक्षात्मक कार्य करवाने की मांग कर रहे है। गांव में भूधंसाव की स्थिति बन जाना काफी चिंता की स्थिति है। बता दे कि सिल्याण गांव जिला मुख्यालय से लगा हुआ है। साथ ही वहां भूधंसाव की स्थिति सड़क कटिंग के कारण हुई है। यह कार्य जसपुर- सिल्याण -निराकोट मोटर मार्ग पर चल रहा है। जिसके कारण सड़क सिल्याण गांव के नीचे से गुजर रही है। ध्यान देने वाली बात यह है कि वहां पर ढ़ीली मिट्टी है। इसी कारण वहां भूधंसाव की स्थिति बन गई है। ऐसे में समय से सुरक्षात्मक कार्य जितना जल्दी हो सके हो जाना चाहिए क्योंकि बरसात का मौसम आने वाला है। यदि सुरक्षा कार्य समय से नहीं हुआ तो गांव वालों के घर धंस सकते है। इससे पहले जोशीमठ में भी ऐसी ही भूधंसाव की भयावह स्थिति हुई थी। जब भी पहाड़ी इलाकों में कोई निर्माण होता है उस दौरान छोटी-छोटी बारीकियों पर बेहद ध्यान देना जरूरी होता है। यदि ध्यान नहीं दिया जाता है तो धीरे-धीरे छोटी घटनाएं बड़े हादसे का रूप ले लेती है।
ऐसी ही घटना वर्ष 2023 में जोशीमठ में भी हुई थी
भूधंसाव की घटना के चलते घरों में दरारें आने की घटना जोशीमठ में वर्ष 2023 में भी हुई थी। जब भूधंसाव के कारण करीब 868 घरों में गहरी दरारें आ गई थी। ऐसे में वहां मौजूद लोगों को अपना घर तक छोड़ना पड़ गया था। घरों के साथ-साथ बड़े होटलों में भी दरारें आ गई थी। यहां खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी और कई जगहों पर तो खेतों की दरारें एक फीट तक चौड़ी हो गई थी।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने चमोली जिले के जोशीमठ भू धसाव मामले की रिपोर्ट केंद्र के साथ राज्य सरकार को भी सौंप दी थी। आपदा का कारण बेतरतीब बुनियादी ढांचे और जल निकासी की समस्या को बताया गया था। जोशीमठ शहर गिली मिट्टी पर बसा हुआ है। यह मिट्टी भूकंप के कारण हुए भूस्खलन से जमा हुई थी। इसके कारण वहां कि मिट्टी किसी बड़े निर्माणों को सपोर्ट नहीं करती है।
अब ऐसा कुछ ही कहीं न कहीं सिल्याण गांव में भी हुआ है। वहां कि भी मिट्टी ढ़ीली है। तब भी वहां ध्यान से सड़क कटिंग का कार्य नहीं किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप वहां के घरों में भी दरारें दिखने लगी है। ऐसे में यह बात बहुत जरूरी है कि जिला प्रशासन को वैज्ञानिकों के साथ समन्वय बना कर गांव में हुई स्थिति का जायजा लेना चाहिए।