उत्तरकाशी में एवलांच से 19 लोगों के मौत की पुष्टि : बछेन्द्री पाल ने याद किया एवरेस्ट विजय वाला दिन
उत्तरकाशी में हिमस्खलन में आने के बाद अब तक कुल 19 पर्वतारोहियों की मौत कि पुष्टि हो गई है, रेसक्यू ऑपरेशन्स जारी है । इस दौरान एवरेस्ट विजेता बछेन्द्री पाल इस घटना से दुखी हैं । इस घटना ने बछेंद्री को उस दौर की याद दिला दी, जब वह 1984 में बर्फीले तूफान में फंस गई थीं। बछेन्द्री पाल अपने करियर के दौरान कई बर्फीली चोटियों को फतेह कर चुकी हैं ।
पद्मश्री बछेंद्री पाल उस दिन को याद कर वह सिहर जाती हैं। वह बताती हैं कि माउंट एवरेस्ट चढ़ते हुए उनका पर्वतारोही दल 24000 फीट की ऊंचाई पर एवलांच में फंस गया था। मैं भी बर्फीले तूफान में फंसी थी और हिल नहीं पा रही थी और सोच रही थी कि यह कैसी मौत है जब मैं होश में हूं और समझ रही हूं कि अब मुझे मरना है।
उन्होने कहा- साढ़े बारह बजे थे, हम 8 से 10 लोग गहरी नींद में सो रहे थे तभी तेज धमाका हुआ। सोचा कैंप के बाहर ऑक्सीजन सिलिंडर फट गया है, लेकिन देखा कि वह किसी भारी चीज के नीचे दबी हैं। एवलांच ने टेंट को दबा दिया है। लोग रो रहे थे, चिल्ला रहे थे, किसी के बचने की संभावना नहीं थी। मैं हिल भी नहीं पा रही थी। उत्तरकाशी में पर्वतारोहियों के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा यह सोचकर रोना आ रहा है। मैं खुशकिस्मत थी, मेरे सहयोगी ने चाकू से टेंट को काटा और बर्फ के टुकड़ों को हटाया।
एक टेंट एवलांच कि जद में नहीं आया था। मैंने उस टेंट में जाकर पानी गर्म किया। किसी की पसली टूटी थी। किसी के सिर में चोट थी, किसी की टांग टूट गई, कुछ सदमें में थे। मेरे भी सिर में चोट थी, जिसे में बार-बार दबा रही थी, लेकिन अन्य की चोट देखकर लगा मेरी चोट कुछ नहीं है। यह एवलांच नजदीक से आया था, यदि दूर से आया होता तो कोई नहीं बचता। सोचा भगवान ने बचा लिया तो आगे बढ़ना है। इस सोच ने मुझे सकारात्मक ऊर्जा दी। अगले दिन सुबह पांच बजे स्लिपिंग बैग में लपेटकर घायलों को इलाज के लिए काठमांडू ले जाया गया। इस हादसे के बाद मुझे छोड़कर सभी लौट गए। देवी मां की कृपा थी जो मैं बच गई। मैंने चढ़ाई जारी रखी और एवरेस्ट फतह किया।
दुनिया में इतिहास ऐसे ही रचे गए हैं |