17 बिजली परियोजनाओं की मंजूरी के लिए सीएम धामी जाएंगे दिल्ली
21 सितंबर को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की अहम बैठक
सीएम धामी करेंगे बिजली परियोजना पर लगी रोक हटाने की पैरवी
सरकार की आय बढ़ाने के लिए परियोजनाओं पर लगी रोक हटना जरूरी – धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में निर्माणाधीन और प्रस्तावित 17 बिजली परियोजनाओं की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के समक्ष राज्य का पक्ष रखेंगे। आगामी 21 सितंबर को किसाऊ बहुउद्देश्यीय परियोजना को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय में होने वाली अहम बैठक के दौरान सीएम धामी इन 17 परियोजनाओं को शुरू करने की पैरवी करेंगे।
बीते रोज अपने जनिमदिन के मौके पर मीडिया से बात करते हुए धामी ने यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे मंत्रालय से राज्य की निर्विवाद सूची में शामिल सभी बिजली परियोजनाओं की मंजूरी के लिए पैरवी करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के साथ ही इन परियोजनाओं को शुरु करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
सीएम धामी ने कहा कि उनका पूरा जोर राज्य सरकार की आय बढ़ाने पर है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यटन सेक्टर के अलावा ऊर्जा क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं लिहाजा सरकार चाहती है कि बिजली परियोजनाओं पर लगी रोक को हटाया जाए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गंगा और उसकी सहायक नदियों पर प्रस्तावित और निर्माणाधीन 24 बड़ी बिजली परियोजनाओं पर अंतरिम रोक लगाते हुए एक विशेषज्ञ समिति बनाई थी, जिसने अध्ययन के बाद इन परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी थी।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने भी अपने शपथ पत्र में इन बिजली परियोजनाओं का समर्थन किया लेकिन तत्कालीन जल संसाधन मंत्रालय (वर्तमान में जल शक्ति मंत्रालय) ने इन परियोजनाओं का विरोध किया था। अब 21 सितंबर को होने वाली बैठक में इन परियोजनाओं के भविष्य को लेकर अहम निर्णय लिए जाने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि भागीरथी घाटी का अधिकतर इलाका इको सेंसिटिव जोन घोषित होने के चलते भागीरथी नदी पर बिजली परियोजनाओं का निर्माण आसान नहीं है, लिहाजा सरकार का पूरा फोकस अलकनंदा नदी पर प्रस्तावित योजनाओं पर है। हालांकि पर्यावरण के विशेषज्ञ प्रदेश में बड़ी बिजली परियोजनाओं के खिलाफ लगातार मुखर हैं।