चिटहेरा(ग्रेटर नोएडा): नोएडा भूमि घोटाले कहीं चंपावत उपचुनाव में धामी को घेरने का राजनीतिक षड्यंत्र तो नहीं?  

देहरादून- उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के गांव चिटहेरा में अनुसूचित जाति के भूमि खरीद घोटाले को उत्तराखंड की धामी सरकार और नौकरशाही से जोड़ने की मंशा नजर आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दर्ज पुलिस मुकदमे में अग्रिम जांच को फिलहाल रोक दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद इस मुकदमे की टाइमिंग को लेकर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। धामी कैबिनेट के मंत्री सौरभ बहुगुणा के भाई और पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे साकेत की कंपनी सहित धामी के सचिव मीनाक्षी सुंदरम के ससुर पर मुकदमा दर्ज हुआ। ठीक इसी समय उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत का उपचुनाव लड़ रहे हैं। कहीं यह धामी विरोधी लॉबी को फायदा पहुंचाने की कोई साजिश तो नहीं थी? मामले में मुख्य आरोपी यशपाल तोमर के साथ केवल भूमि खरीदारों को यूपी पुलिस ने आरोपी बनाया जबकि तत्कालीन ग्रेटर नोएडा के राजस्व और प्रशासनिक अफसरों का जिक्र तक एफआईआर में नहीं किया। इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि यूपी पुलिस के स्तर से कहीं चूक तो नहीं हुई, जिसका फायदा उत्तराखंड में धामी विरोधियों को मिलने जा रहा था? मामला दर्ज होने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा भूचाल आया था। सीधे तौर सीएम धामी इससे निशाने पर आ रहे थे। सीएम धामी की विरोधी लॉबी ने इसे तूल देने की कोशिश की। कांग्रेस ने जिस तरह से इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश की, उससे लगता है कि मामले में उत्तराखंड के कुछ उच्च अधिकारियों का भी हाथ हो सकता है। खटीमा में जिस तरह से सीएम धामी की हार में भीतरघात को वजह माना गया उसी तरह का षडयंत्र चंपावत उपचुनाव में भी रचने का कयास लगाया जा रहा है। खैर यह जांच का विषय है कि मुकदमा दर्ज करने में केवल धामी के करीबियों को ही क्यों आरोपी बनाया गया। फिलहाल हाईकोर्ट में इस मुकदमे को लेकर सुनवाई हो रही है। बड़ी राहत यह है कि दादरी पुलिस को अग्रिम जांच नहीं करने का आदेश कोर्ट से हुआ है।

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