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केंद्र ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए बनाया पैनल, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे अध्यक्ष 

भारत सरकार ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लागू करने की संभावना तलाशने के लिए एक समिति का गठन किया है। देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस समिति की अध्यक्षता करेंगे । 

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा को लागू करने की संभावना तलाशने के लिए एक समिति का गठन किया है। समिति का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद करेंगे । इस समिति का उद्देश्य देश में चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है।

इस समिति का प्राथमिक उद्देश्य यह आकलन करना है कि क्या भारत सफलतापूर्वक ऐसी प्रणाली विकसित कर सकता है जहां पूरे देश में राष्ट्रीय (लोकसभा) और राज्यों (विधानसभा) के चुनाव एक साथ आयोजित किए जा सके । केंद्र सरकार ने हाल ही में 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का एक  विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की है जिसके एजेंडे का खुलासा नहीं किया गया है। हालांकि अटकलें लगाई जा रही हैं कि सत्र के दौरान ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर एक विधेयक पेश किया जा सकता है, लेकिन सरकार की ओर से इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

क्या है ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ ?

देश की आजादी के बाद शुरुआत में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे , हालाँकि, 1967 के बाद कुछ राज्यों की विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने और समय से पहले लोकसभा चुनावों हो जाने के कारण लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के चुनाव अलग अलग होने शुरू हो गए ।  ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की इस अवधारणा को हाल के वर्षों में फिर से बल मिला है । इसे भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों के अपने घोषणापत्र में भी शामिल किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा देश में एक साथ चुनाव करने को लेकर काफी मुखर रही है। पीएम मोदी ने तर्क दिया है कि बार-बार चुनाव देश के संसाधनों पर दबाव डालते हैं और शासन की निरंतरता को बाधित करते हैं। इस विषय पर कई चर्चाओं के बावजूद, विपक्षी दल इस मुद्दे पर विभाजित हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन के साथ ही लोकसभा और राज्यसभा दोनों में दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी।

वर्तमान में, पांच राज्यों – मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर में होने हैं, जबकि लोकसभा चुनाव अगले साल मई के आसपास होने की उम्मीद है।

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