कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने की मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत, बच्चों को किया सम्मानित
- खेल हमें सिखाता है अनुशासन, धैर्य-रेखा आर्या
- खेल मंत्री ने खेलकर बढ़ाया बच्चों का हौसला
- खेल हमारे जीवन की है आवश्यकता,खेल से बढ़ती है टीमवर्क और लीडरशिप की भावना-रेखा आर्या
- खेल से होता है तनाव का स्तर कम और लेखन-पढ़ाई होती है बेहतर-रेखा आर्या
- वर्तमान में स्पोर्ट्स में बेहतर जॉब के मिल रहे अवसर-रेखा आर्या
- बाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मे खेल मंत्री रेखा आर्या ने की मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत, बच्चों को किया सम्मानित
देहरादून आज बाल दिवस के सुअवसर पर परेड ग्राउंड में बालक एवं बालिका निकेतन के बच्चों की खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश की खेल मंत्री रेखा आर्या और विशिष्ट अतिथि के रूप में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य दीपक गुलाटी ने शिरकत की। जहाँ बाल दिवस के अवसर पर आज कई खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें 100/200 मीटर दौड़ / चम्मच दौड़ /बोरा दौड़ / रस्साकशी म्यूजिकल चेयर, खो-खो, कबड्डी, रिंग गेम, शार्टपुट, लाँग जम्प शामिल रहे साथ ही मंत्री रेखा आर्या ने विजेता/उपविजेता रहे प्रतिभागियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम के दौरान खेल मंत्री रेखा आर्या ने स्वयं रस्साकस्सी में भाग लेकर बच्चों का उत्साहवर्धन व उनका हौसला बढ़ाया साथ ही सभी प्रतिभागियों को शुभकामनायें दीं और कहा कि खेल हमें तनावमुक्त रखने के साथ ही टीम भावना सिखाता है।
खेल मंत्री ने कहा कि खेल हमारे जीवन का आवश्यक हिस्सा है। स्वस्थ शरीर और दिमाग काे विकसित करने के लिए खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेल कई प्रकार के होते हैं, जाे हमारे शारीरिक के साथ मानसिक विकास में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि लगातार पढ़ाई के दौरान कई बार तनाव की स्थिति होती है, ऐसे में खेल इस तनाव को दूर करने का बेहतर माध्यम है,जिस तरह दिमाग का सही विकास के लिए शिक्षा जरूरी है, उसी तरह शारीरिक विकास के लिए खेल महत्वपूर्ण हैं। शिक्षा के माध्यम से हम टीम भावना नहीं सीख सकते, लेकिन खेल से यह संभव है। खेल मंत्री ने कहा कि अभिवावकों को अपने स्तर पर ही बच्चों को खेल से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।ऐसे में जरूरत है हमें पढ़ाई के बराबर खेलों को महत्व देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि खेल में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, कई बार अपेक्षा के अनुरूप परिस्थिति आती है उन परिस्थितियों में संघर्ष करके आगे बढ़ना है। खेल में और जीवन में कई संघर्ष व उतार चढ़ाव आते हैं जो पार्ट आफ लाइफ है और इन संघर्षों से इन दिक्कतों से सफलतापूर्वक निकल जाना आर्ट आफ लाइफ है। शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है। साथ ही उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता में कुल 9 संस्थाओ के बच्चों ने प्रतिभाग किया जिनमे 7 से 18 आयु वर्ग के बच्चों के बीच अलग -अलग खेल की प्रतियोगिता आयोजित कराई गई।
वहीं बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य दीपक गुलाटी ने कहा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खेल एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिये हम तनाव मुक्त रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज बाल दिवस के अवसर पर बालक और बालिका निकेतन के बच्चों के मध्य इस तरह की प्रतियोगिता के आयोजन से कहीं ना कहीं उनके चेहरे पर मुस्कान आयी है। जिसके लिए दीपक गुलाटी नें बाल विकास मंत्री श्री मती रेखा आर्या जी का बाल आयोग की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया हैं!
इस अवसर पर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य दीपक गुलाटी जी,निदेशक खेल जितेंन्द्र सोनकर , उपनिदेशक खेल श्री एस० के० सिह , डीपीओ अखिलेश मिश्रा ,प्रधानाचार्य महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज राजेश ममगाई , जिला क्रीड़ा अधिकारी श्रीमती शबाली गुरुंग जी सहित विभागीय अधिकारी, कर्मचारी और विभिन्न संस्थाओ के प्यारे -प्यारे बच्चे उपस्थित रहे।