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Breaking News : फांसी की सजा पाए आरोपी हरमीत अंडरगॉन पर हुआ रिहा

Breaking News : हरमीत ने पूरे परिवार को सुलाया था मौत की नींद

Breaking News : नैनीताल हाइकोर्ट ने अभियुक्त हरमीत द्वारा 2014 में दीपावली की रात को अपने ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या करने पर सत्र न्यायालय देहरादून द्वारा उसे फांसी की सजा दिए जाने के मामले पर सुनवाई के बाद उसे अंडरगॉन (जितनी सजा काट ली उतनी ही) पर छोड दिया है।

अभियुक्त के अधिवक्ता का कहना था कि वह दस साल से मानसिक रोग से गुजर रहा है इस संबंध में उसकी दवा भी चल रही है। इसलिए उसने जितनी भी सजा काट ली है उसी पर उसे छोड दिया जाए। जिसके बाद कोर्ट ने इसी आधार पर उसे छोड दिया गया है। पूर्व में कोर्ट ने सुनवाई के बाद निर्णय को सुरक्षित रख लिया था।

Breaking News : आरोपी हरमीत से चार लोगों को सुलाया था मौत की नींद

मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार 23 अक्टूबर 2014 को हरमीत ने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे गर्भ की भी निर्मम तरीके से चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी।

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अभियुक्त ने पांच लोगों की हत्या करने में चाकू से 85 बार वार किया था। जिसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से हुई। पुलिस ने जांच में पाया कि हरमीत के पिता की दो शादियां थी उसको शक था कि उसके पिता सारी संपत्ति को सौतेली बहन के नाम पर न कर दें। उसकी सौतेली बहन एक सप्ताह पहले अपनी डिलीवरी के लिए आई हुई थी उसकी सालगिरह 25 अक्टूबर को थी जिसकी वजह से वह अपने बच्चे की डिलीवरी 25 अक्टूबर को ही कराना चाहती थी।

Breaking News : इस केस का मुख्य गवाह पांच वर्षीय कमलजीत बच गया

अगर वह डिलीवरी एक दिन पहले करा लेती तो शायद बच्चे व मां की जान बच सकती थी। इसका फायदा उठाते हुए दीपावली की रात को घर पर पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी। इस केस का मुख्य गवाह पांच वर्षीय कमलजीत बच गया।

अभियुक्त ने घटना को चोरी का अंजाम देने के लिए अपने हाथ भी काट लिया था। पुलिस की जांच में घटना देहरादून के आदर्श नगर का था 24 अक्टूबर 2014 को पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पंचम) आशुतोष मिश्रा ने 5 अक्टूबर 2021 को उसे फांसी की सजा सुनवाई साथ मे एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम ने फांसी की सजा की पुष्टि करने के लिए हाईकोर्ट में रिफरेंस भेजा था।

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