Uttarakhand में शिक्षा विभाग (Education News) ने डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए नए फैसले का ऐलान किया है। मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रदेश सरकार ने एमबीबीएस परीक्षा के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया गया है। मेडिकल कॉलेजों(medical college) में अब अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी डॉक्टरी की पढ़ाई होगी। प्रदेश सरकार ने यह फैसला दो सदस्यीय समिति का गठन करके लिया है।
राज्य में चार राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2023-24 से एमबीबीएस(mbbs) की पढ़ाई को हिंदी पाठ्यक्रम में लागू किया जाएगा। हिंदी पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए गठित की गई समिति ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है।
अंतिम चरण में हिंदी पाठ्यक्रम की तैयारी
स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने इस फैसले को लेकर बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि “एमबीबीएस हिंदी पाठ्यक्रम लागू करने के लिए की गयी तैयारी अंतिम चरण में है। अब मेडिकल कॉलेजों में अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी डॉक्टरी की पढ़ाई होगी।” मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रदेश सरकार ने एमबीबीएस परीक्षा के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया गया है। मेडिकल कॉलेजों में अब अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी डॉक्टरी की पढ़ाई होगी।
प्रदेश सरकार द्वारा गठित की गई समिति में एनएचबी चिकित्सा शिक्षा विवि के कुलपति प्रो. हेमचंद्र, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के रेडियोथेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दौलत सिंह शामिल थे। शुक्रवार को समिति ने हिंदी पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए सात पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। समिति ने मध्य प्रदेश में लागू हिंदी पाठ्यक्रम का विस्तृत अध्ययन किया है।
एक साल पहले लिया था निर्णय
मध्यप्रदेश के तर्ज पर राज्य के मेडिकल कॉलेजों के लिए भी एमबीबीएस का पाठ्यक्रम हिंदी में तैयार किया है। सरकार ने इसका फैसला एक साल पहले ले लिया था। चिकित्सा शिक्षा विवि ने अपनी शैक्षणिक एवं एकेडमिक समिति में हिंदी पाठ्यक्रम को पारित करने के बाद अंतिम स्वीकृति के लिए रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
इसी शैक्षणिक सत्र से लागू होगा फैसला
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि “राज्य में काफी छात्र-छात्राओं की स्कूली शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई होती है। इसके चलते एमबीबीएस कोर्स की पढ़ाई के दौरान उनके सामने कठिनाई आती है।” इस परेशानी का बारिकी से अध्ययन किया गया और यह देखते हुए राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अंग्रेजी माध्यम के साथ हिंदी में भी एमबीबीएस की पढ़ाई कराने का निर्णय लिया गया था। इसी शैक्षणिक सत्र से मेडिकल कॉलेजों में हिंदी पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा।