बिग अलर्ट : 12 दिन में साढ़े पांच सेंटीमीटर धंसा जोशीमठ, इसरो ने चेताया
जोशीमठ पर मंडरा रहे संकट के बीच ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) ने इस नगर को लेकर एक बेहद चिंताजनक तथ्य उजागर किया है।
इसरो के ‘नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर’ हैदराबाद (एनआरएससी) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पिछले 12 दिन की अवधि में जोशीमठ नगर 5.4 सेंटीमीटर नीचे धंसा है। एनआरएससी हैदराबाद ने जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी कर यह खुलासा किया है।
इससे पहले एनआरएससी देहरादून की रिपोर्ट में भी जोशीमठ के लगातार घंसने का खुलासा हुआ है। दो दिन पहले ही एनआरएससी देहरादून ने दो साल की सेटेलाइट तस्वीरों के अध्ययन के आधार पर बताया था कि जोशीमठ हर साल ढाई इंच धंस रहा है।
एनआरएससी हैदराबाद ने जोशीमठ और उसके आसपास के धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
तस्वीरों में जोशीमठ स्थित प्रसिद्ध नृसिंह मंदिर, सेना के हेलीपैड तथा अन्य इलाकों को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन के धंसने की गति कम थी लेकिन 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 के बीच, भू-धंसाव की गति तेजी से बढ़ी है।
रिपोर्ट के मुताबिक भू-धंसाव का केंद्र समुद्र तल से 2180 मीटर की ऊंचाई पर जोशीमठ-औली रोड के पास स्थित है।
एनआरएससी हैदराबाद की इस रिपोर्ट ने जोशीमठ को लेकर फिर से खतरे की घंटी बजा दी है।
दो दिन पहले ही आईआईआरएस देहरादून ने भी दो साल की सेटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी है।
रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ हर साल 6.62 सेंटीमीटर यानी करीब 2.60 इंच धंस रहा है।
आईआईआरएस के वैज्ञानिकों ने जुलाई 2020 से मार्च 2022 तक जोशीमठ और आसपास के छह किलोमीटर क्षेत्र की सेटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन किया जिसके बाद यह नतीजा सामने आया।
अध्ययन के मुताबिक इस अवधि में जोशीमठ और उसके आसपास के इलाकों में भूगर्भीय बदलाव देखने को मिले हैं। चिंताजनक बात यह है कि केवल जोशीमठ नहीं बल्कि पूरी घाटी में भूगर्भीय बदलाव देखने को मिले हैं।
आईआईआरएस द्वारा जारी किए गए वीडियो में दिखाया गया है कि भूस्खलन की चपेट में केवल जोशीमठ नहीं बल्कि पूरी घाटी है।
आईआईआरएस की इस रिपोर्ट से इतर बात करें तो प्रदेश सरकार ने जोशीमठ के हालातों का अध्ययन करने की जिम्मेदारी अलग-अलग वैज्ञानिक संस्थाओं को दी है, जो अपने काम में जुटी हुई हैं।
बहरहाल इन दोनों रिपोर्ट ने जोशीमठ और समूची घाटी के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।