Baba Ramdev: पंतजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन पर अदालत को दिए वचन का पालन न करने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पतंजलि आयुर्वेद के एमडी और योग गुरु कहे जाने वाले बाबा रामदेव और उनके साथी आचार्य बालकृष्ण को एक बार फिर कड़ी फटकार लगाई है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेशी के दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कोर्ट से आदेश का उल्लंघन करने के लिए बिना शर्त माफी भी मांगी। लेकिन उनकी माफ़ी को कोर्ट ने केवल दिखावा बताया और उनको नया हलफनामा पेश करने का आदेश दिया।
Baba Ramdev: अगली सुनवाई होगी 10 अप्रैल को
बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के ऊपर भ्रामक विज्ञापन का मामला दर्ज है। 2 अप्रैल को कोर्ट में पेश होना था। पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कोर्ट में याचिका दर्ज करवाई थी। इस पूरे मामले में बाबा रामदेव व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए जारी किए गए याचिका के तहत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कोर्ट से आदेश का उल्लंघन करने के लिए बिना शर्त माफी भी मांगी। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने उनको जोरदार फटकार लगाई है। वहीं इन सारे मामले पर अगली सुनवाई आने वाले 10 अप्रैल को होनी है।
Baba Ramdev: बाबा रामदेव के जवाब से संतुष्ट नहीं कोर्ट
बीती 19 मार्च को कोर्ट की अवमानना करने पर बालकृष्ण और रामदेव को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हाजिर होने का निर्देश मिला था। 2 अप्रैल को दोनों कोर्ट में हाजिर भी हुए और बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी।
रामदेव की ओर से उनके वकील ने हाथ जोड़कर माफी मांगी साथ ही माफ करने की अपील की। इस पर बेंच ने रामदेव को फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश को गंभीरता से लीजिए। बेंच ने इस तरह माफी मांगने को ‘लिप सर्विस’ बताया और कहा कि उन्हें विस्तृत हलफनामा दाखिल करना होगा। कोर्ट ने कहा कि निर्देशों का पालन नहीं करने पर उन्हें कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो रामदेव के जवाब से संतुष्ट नहीं है, उनको समय दिया गया था। कोर्ट ने रामदेव से कह दिया कि अगर आपको माफी मांगनी होती तो पहले ही मांग लेते। सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के हलफनामे से संतुष्ट नजर नहीं आया। अब कोर्ट ने भारत सरकार के आयूष मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के संपदा विभाग को भी नोटिस जारी किया है। दोनों से हफ्ते भर में जवाब मांगा गया है।
Baba Ramdev: विज्ञापनों से देश हो रहा गुमराह
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पतंजलि के स्वास्थ्य से जुड़े विज्ञापनों पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से भी पूछा था कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि पतंजलि अपने विज्ञापनों से पूरे देश को गुमराह कर रहा है। कोर्ट ने थायरॉइड, अस्थमा, ग्लूकोमा जैसी बीमारियों से ‘स्थायी राहत और इलाज’ का दावा करने वाले पतंजलि के विज्ञापनों को भ्रामक बताया था।