Udham Singh Nagar News: उधमसिंहनगर में ऑटिज्म के मामले बढ़े, अभिभावकों को जागरूक होने की जरूरत
ऊधमसिंह नगर जिले में ऑटिज्म की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में 40 बच्चे डीईआईसी (जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र) में इलाज करवा रहे हैं। पिछले साल यह संख्या 10 थी।
उधमसिंहनगर जिले में ऑटिज्म के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जिले के डीईआईसी (जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र) में वर्तमान में 40 बच्चे ऑटिज्म का इलाज करवा रहे हैं। पिछले साल यह संख्या केवल 10 थी।
डॉक्टरों के अनुसार, कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों का अधिक समय फोन और टीवी देखने की आदत ने उनके व्यवहार में कई बदलाव ला दिए हैं। इसके चलते बच्चे ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं।
ऑटिज्म एक विकासात्मक विकार है जो बच्चों के संचार और सामाजिक कौशल को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में दूसरे लोगों से नजरें चुराना, ज्यादातर अकेले खेलना, हाइपर एक्टिव होना, गुमसुम रहना, कार्टून कैरेक्टर की आवाज में जवाब देना, अपने आसपास हो रही घटना से अंजान रहना, बार-बार चीजों को घुमाना, गोलमोल जवाब देना आदि शामिल हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि ऑटिज्म के शिकार बच्चों में सामान्य से दिखने वाले व्यावहारिक बदलाव होते हैं। समय पर इलाज न कराने पर बढ़ती उम्र के साथ यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है।
अभिभावकों को इन लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए और बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। समय पर इलाज से बच्चे को ऑटिज्म से छुटकारा मिल सकता है।
डीईआईसी के चिकित्सकों का कहना है कि ऑटिज्म के इलाज में थैरेपी ही एकमात्र उपाय है। थैरेपी के माध्यम से बच्चे के व्यवहार में सुधार लाया जा सकता है।
कुछ परिजन बच्चों के व्यवहार में आ रहे बदलाव को दैवी प्रकोप समझकर इलाज नहीं कराते हैं। वे सिर्फ कर्मकांड के सहारे रह जाते हैं। इससे समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चे का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
अंधविश्वास के चंगुल में पड़ना ऑटिज्म के इलाज में बाधा बन सकता है। अभिभावकों को अपने बच्चों के व्यवहार में आ रहे बदलाव को दैवी प्रकोप नहीं समझना चाहिए। उन्हें तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।