एशिया की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना ‘‘किसाऊ’’ उत्तराखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी

देहरादून। एशिया की दूसरी बड़ी बांध परियोजना किसाऊ भविष्य में उत्तराखंड के विकास हेतु मील का पत्थर साबित होगी। ये बांध न केवल राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में अहम साबित होगा बल्कि सिंचाई एवं पेयजल की समस्या दूर करने का काम भी करेगा। रोजगार के तमाम अवसर पैदा होंगे सो अलग। किशाऊ बहुउद्देशीय बाँध परियोजना उत्तराखंड एवं हिमाचल में बहने वाली टौंस नदी पर प्रस्तावित है। परियोजना के क्रियान्वयन का कार्य उत्तराखण्ड एवं हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम किशाऊ कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।


इस परियोजना को फरवरी 2008 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है। किशाऊ बाँध परियोजना एशिया की दूसरी सबसे बड़ी बाँध परियोजना होगी। जिसकी ऊंचाई 236 मीटर एवं लम्बाई 680 मीटर होगी। किशाऊ परियोजना उत्तराखण्ड राज्य के जनपद देहरादून एवं हिमाचल प्रदेश के जनपद सिरमौर में टोंस नदी पर प्रस्तावित है।
केन्द्रीय जल आयोग द्वारा परियोजना की कुल लागत मार्च, 2018 के मूल्य स्तर के अनुसार रू० 11550 करोड़, जिसमें जल घटक की लागत रु.10013.96 करोड एवं विद्युत घटक की लागत रु. 1536.04 करोड़ आंकी गई है। वर्तमान में परियोजना की डीपीआर का कार्य प्रगति पर है, जिसमें परियोजना की लागत बढ़ने का अनुमान है।

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