उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने केस का ट्रायल जारी रखने का आदेश जारी किया है। पीड़ित परिवार ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई जांच की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच सीबीआई से करवाने की गुहार वाली याचिका पर सुनवाई हो रही जहा उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखते हुए कहा कि अंकिता भंडारी मामले की जांच को लेकर राज्य सरकार ने तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी की निगरानी में नौ सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जो इस मामले की जांच कर रही है।
जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से पेश हुए डिप्टी एडवोकेट जनरल जतिंदर कुमार सेठी ने कहा कि निचली अदालत में मामले में आरोपी पुलकित आर्या, अंकित गुप्ता, सौरभ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354, 302, 201, 120बी सहित अन्य अधिनियम के प्रावधानों के तहत चार्जशीट दाखिल की जा चुकीं है।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों तरफ से अपना अपना पक्ष रखा गया। एक ओर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि सीसीटीवी फुटेज नहीं एकत्र किए गए और न ही फोरेंसिक साक्ष्य लिए गए। मोबाइल फोन भी जब्त नहीं किए गए।
लेकिन वही दूसरी ओर राज्य सरकार ने पीठ को बताया कि इस पूरे मामले से जुड़े हुए सीसीटीवी फुटेज, फोरेंसिक साक्ष्य आदि अदालत के समक्ष जमा हैं। आरोपियों के मोबाइल फोन भी जब्त किए गए थे और कॉल रिकॉर्ड साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए हैं।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने ट्रायल जारी रखने का आदेश देते हुए कहा कि मामले की अगली सुनवाई फरवरी में होगी।
बता दें कि अब तक ट्रायल कोर्ट में 27 गवाहों के बयान दर्ज किए गए है, जिसमे अंकिता के माता-पिता, भाई, चाचा और दोस्त शामिल हैं। वहीं राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि ट्रायल चल रहा है और अभियोजन साक्ष्य शीघ्र ही पूरा होने की उम्मीद है।