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चुनावों से पहले, केंद्र ने एलपीजी की कीमतों में 200 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती की

रक्षा बंधन के मौके पर केंद्र सरकार ने आम आदमी को राहत देते हुए घरेलू एलपीजी सिलेंडर पर 200 रुपये की सब्सिडी देने की घोषणा की है । वही पीएमयूवाई के लाभार्थियों को अब घरेलू एलपीजी पर 400 रुपये की सब्सिडी मिलेगी । 

आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सस्ते एलपीजी वादे का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम में, केंद्र सरकार ने घरेलू रसोई गैस की कीमतों में 200 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती की घोषणा की है । वर्तमान में, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 14.2 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1,103 रुपये है । बुधवार 30 अगस्त से 200 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती का निर्णय लागू होने के बाद इसकी कीमत 903 रुपये होगी। वही प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों को जो पहले से 200 रुपये प्रति सिलेंडर की सब्सिडी मिल रही है वो जारी रहेगी और उसके ऊपर अब हालिया निर्णय के बाद 200 रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी । यानि कुल मिलाकर पीएमयूवाई के लाभार्थियों को घरेलू एलपीजी पर अब 400 रुपये की सब्सिडी मिलेगी और दिल्ली में इसकी कीमत 703 रुपये होगी।

इस निर्णय की घोषणा करते हुए, सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य परिवारों को राहत प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय नागरिकों पर वित्तीय बोझ को कम करने और परिवारों के कल्याण को बढ़ावा देने के सरकार के चल रहे प्रयासों का हिस्सा है । एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि रसोई गैस की कीमतों में कटौती सरकार की अपने नागरिकों की भलाई को प्राथमिकता देने और उचित दरों पर आवश्यक वस्तुओं तक पहुंच सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

रक्षा बंधन का उपहार

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह कटौती देश की सभी महिलाओं के लिए रक्षा बंधन का उपहार है । सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पीएम मोदी ने हिंदी में लिखा , ”रक्षाबंधन का पर्व अपने परिवार में खुशियां बढ़ाने का दिन होता है। गैस की कीमतों में कटौती होने से मेरे परिवार की बहनों की सहूलियत बढ़ेगी और उनका जीवन और आसान होगा। मेरी हर बहन खुश रहे, स्वस्थ रहे, सुखी रहे, ईश्वर से यही कामना है।”

पीएमयूवाई लाभार्थियों के लिए उन्नत लाभ

प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत प्रदान की जा रही मौजूदा 200 रुपये की सब्सिडी के अलावा, योजना के प्राप्तकर्ताओं को अतिरिक्त 200 रुपये की सब्सिडी मिलेगी, जिससे परिवारों को मिलने वाली राहत में वृद्धि होगी। सरकार द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, पीएमयूवाई परिवारों के लिए, इस कटौती के बाद दिल्ली में इसकी प्रभावी कीमत 703 रुपये प्रति सिलेंडर होगी। यह पहल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों पर वित्तीय तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

9.6 करोड़ पीएमयूवाई लाभार्थी परिवारों सहित 31 करोड़ से अधिक नियमित घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं के लिए यह निर्णय नागरिकों के व्यापक स्पेक्ट्रम को महत्वपूर्ण वित्तीय राहत प्रदान करेगा। इसके साथ ही, सरकार 75 लाख नए उज्ज्वला कनेक्शन प्रदान करेगी, जिससे कुल पीएमयूवाई लाभार्थियों की संख्या 10.35 करोड़ हो जाएगी।

चुनाव-वर्ष की चाल: राजनीतिक निहितार्थ

घरेलू एलपीजी सिलेंडर पर 200 रुपये की कटौती ऐसे समय में आई है जब राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों प्रस्तावित है । केंद्र में नरेंद्र मोदी प्रशासन का मौजूदा कार्यकाल भी अगले साल समाप्त होने जा रहा है और ऐसे में रसोई गैस की कीमतों में कटौती का आर्थिक और राजनीतिक दोनों महत्व है।

वही विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम को एक “चुनावी घोषणा” करार दिया है । कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि एलपीजी की कीमतों में कटौती कर्नाटक चुनावों में भाजपा को मिली हार की सीधी प्रतिक्रिया है ।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी रसोई गैस की कीमत में कमी को विपक्षी गठबंधन आई.एन.डी.आई.ए. ( I.N.D.I.A ) का प्रभाव बताया । उन्होंने कहा कि यह कदम देश में विपक्षी एकता के डर के कारण लिया गया है ।

ज्ञात हो की कर्नाटक में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने एलपीजी की ऊंची कीमतों को चुनावी मुद्दा बनाया था। पार्टी ने आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी सत्ता में आने पर 500 रुपये प्रति सिलेंडर पर एलपीजी देने का वादा किया है । मध्य प्रदेश में नवंबर-दिसंबर के महीने में चुनाव होने हैं।

जिस समय देश पाँच महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की ओर देख रहा है, रसोई गैस की कीमतों में कटौती से भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने एक तीर से दो निशाने लगाने का काम किया है । सरकार ने जहां एक तरफ इससे आम आदमी की घरेलू वित्तीय चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है तो वही दूसरी तरफ इससे “बढ़ती महंगाई” के मुद्दे को लेकर मतदाताओं की चिंताओं को साधने का भी काम किया है जो इस चुनावी समय में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है ।

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