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आखिर कौन होते है ‘रैट माइनर्स’, क्या है इनका काम

बड़े से बड़े पहाड़ों को भी आसानी से कुरेदने का काम रैट माइनर्स आसानी से कर लेते है। चूहे की तरह बिलों को कुरेद कर यह अपनी मंजिल तक आसानी से पहुंच जाते है।

उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में 17 दिनों से फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए जब मशीनों ने काम करना बंद कर दिया था तो ‘रैट माइनर्स’ ही सबकी उम्मीद बनी। 24 घंटों में ही वह चूहों की तरह सुरंग को कुरेद कर रास्ता बना मजदूरों के पास पहुंच गए। उनके इस साहसिक काम को देश भर ने सलाम किया। लेकिन क्या आप जानते है की आखिर यह रैट माइनर्स होते कौन है और चूहों से इनकी तुलना किसलिए की जाती है। तो चलिए आज हम आपको बताते है इनके बारे में:

कौन होते है रैट माइनर्स

रैट माइनर्स उन लोगों को कहा जाता है जो छोटी सुरंगों को खोद कर उनमें घुस खदान के अंदर से खजान बहार निकलते है। यह लोग काफी पतले होते है ताकि यह छोटी सुरंगों में आसानी से घुस जाएं। रैट होल माइनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लगभग 3-4 फीट गहरी और बेहद छोटी सुरंगें खोदी जाती हैं, इसमें श्रमिक सुरंग के अंदर घुसते हैं। रैट माइनर्स चूहे की तरह कम जगह में तेज खुदाई करने वाले विशेषज्ञ हैं। रैट माइनर्स को कम जगह पर खुदाई करने के लिए बेहद उम्दा माना जाता है। जहां मशीने भी जवाब दे दें वहां इन रैट माइनर्स द्वारा अपने हाथों से धीरे-धीरे खुदाई की प्रक्रिया बहुत काम आती है।

अवैध कोयला खदान में होता है इनका उपयोग

रैट माइनर्स की इस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादातर अवैध कोयला खदान के लिए होता है। बड़ी-बड़ी मशीनें और अन्य संसाधन आसानी से शासन-प्रशासन की नज़र में आ जाते है इसलिए चोरी छिपे यह रैट माइनर्स कोयले की छोटी-छोटी खदानों में घुस कर ख़जान बाहर निकालते है।

रेस्क्यू की बात सुन दौड़े चले आए रैट माइनर्स

उत्तरकाशी में 41 मजदूरों के सुरंग में फंसे होने की सूचना रैट माइनर्स को दी गयी तो वह फँसे हुए श्रमिकों की रक्षा के लिए बिना कुछ सोचे दौड़े चले आए। रैट माइनर्स की छह सदस्यीय टीम उत्तरकाशी पहुंची थी। टीम में से सबसे पहले दो लोग पाइपलाइन के अंदर गए। इन दोनों में से एक ने आगे का रास्ता बनाया जबकि दूसरा मलबे को ट्रॉली में भर रहा था। बाकी ​बाहर खड़े चार लोग पाइप के अंदर से मलबे वाली ट्रॉली को रस्सी के सहारे बाहर ​की तरफ खींचकर मलबा बाहर निकाल रहे थे। देशभर के लोगों ने मुश्किल की इस घड़ी में सभी को सुरक्षित बाहर निकालने पर उनको देवदूत कह कर बुलाया।

रैट माइनर फिरोज कुरैशी जब सुरंग से बाहर निकले तो वह अपने आंसू नही रोक पाए और रैट माइनर्स ने भी श्रमिकों के सफल रेस्क्यू पर भावुकता से कहा कि, ”उन्होंने (फंसे हुए मजदूरों ने) हमें जो सम्मान दिया है, वह उसे जीवन भर नहीं भूल सकते”, साथ ही उन्होंने कहा की उन्होंने पैसे के लिए देश के लिए काम किया है।

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