नहीं जमी एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म ‘मिशन रानीगंज’, उम्मीद से कम मिले आंकड़े
लगातार फ्लॉप फिल्मों के बाद ओएमजी 2 से बड़े परदे पर वापसी की उम्मीद लगाए फ़िल्मी अभिनेता अक्षय कुमार की हालिया रिलीज़ हुई फिल्म 'मिशन रानीगंज' भी उम्मीदों पर खड़ी नहीं उतर पायी है। ऐसे में अब कही न कही उनका फ़िल्मी सफर असमंजस में दिख रहा है।
लॉक डाउन के बाद से ही फ़िल्मी सितारे अक्षय कुमार का दबदबा कम दिखाई दे रहा है। उनकी एक के बाद एक फिल्मे बड़े परदे पर फ्लॉप हो रही है, लेकिन उनकी इस साल फिल्म ‘ओएमजी 2’ के जरिये लोगों को एक सीख देने की कोशिश की। उन्हें शिव के दूत के किरदार में काफी पसंद किया गया। ऐसा लग रहा था मनो उनकी ट्रेन फिर पटरी पर आ रही हो जिसके बाद उनकी फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ को लेकर भी यही कयास लगाए जा रहे थे कि सच्ची घटना पर आधारित यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर कमाल मचाएगी।
नहीं हुई अनुमान अनुसार कमाई :
पूजा एंटरटेनमेंट प्रोजक्शन के बैनर तले बनी ‘मिशन रानीगंज’ को लेकर जिस तरह की हाईप थी, उसे देख लगा था कि फिल्म डबल डिजिट्स में ओपनिंग ले सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सैकनिल्क की रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय कुमार की इस मूवी ने 2.8 करोड़ की कमाई की है। यह आंकड़े उम्मीद से भी कम हैं। करीब 2500 स्क्रीन्स पर रिलीज हुई फिल्म ने पहले ही दिन मुट्ठी भर कमाई की है।
इस फिल्म के बाद वह 1989 की कोयला खदान स्टोरी ‘मिशन रानीगंज’ बड़े पर्दे पर लेकर आए हैं। उन्होंने जसवंत सिंह गिल का रोल प्ले किया है, जिसने एक साथ छह दर्जन से ज्यादा मजदूरों की जान बचाई।
किस घटना पर आधारित है फिल्म :
कोयला खदान हादसा वेस्ट बंगाल में हादसा हुआ था। 13 नवंबर, 1989 को रानीगंज के महाबीर खदान (पश्चिम बंगाल) में कोयले की खदानों का ब्लास्ट कर तोड़े जाने के दौरान वॉटर टेबल की दीवार में क्रैक आ गया। पानी तेजी से इन दरारों में बहने लगा। इस कारण वहां काम कर रहे 220 लोगों में से छह की मौके पर मौत हो गई। जो लिफ्ट के पास थे, उन्हें जल्दी से बाहर खींचा गया। फिर भी 65 मजदूर फंसे रह गए थे।
इस हादसे के वक्त जसवंत सिंह गिल बतौर एडीशनल चीफ माइनिंग डायरेक्टर वहां पोस्टेड थे। उन्होंने सभी 65 मजदूरों की जान बचाई। जहां खदान में मजदूर फंसे थे, उन्होंने वहां कई बोर खोदे और उनके सकुशल बाहर निकलने तक खाना-पीना तक पहुंचाया। एक लंबे अंतराल के बाद उन्होंने सभी 65 मजदूरों की जान बचाई और उन्हें बाहर निकाला। बहादुरी के इस काम के लिए जसवंत सिह गिल को 1991 में इंडियन गवर्मेंट की तरफ से प्रेसिंडेट रामास्वामी वेंकटरमन के हाथों सिविलियन गेलेन्ट्री अवार्ड ‘सर्वोंत्तम जीवन रक्षक पदक’ दिया गया।