
- यह मुद्दा देश हित काःचौधरी
कोई टाइमलाइन नहीं, जल्दबाजी में काम नहीं
संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने के मामले में समिति के सामने कोई टाइमलाइन फिक्स नहीं है। समिति किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। यह काम देश हित से जुड़ा अत्यंत महत्व का है, इसलिए ठोस काम करने पर जोर है। समिति पूरे देश में सभी राज्यों तक पहुंचेगी।
…तो होगा पांच लाख करोड़ का देश को लाभ
समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि यदि एक साथ चुनाव होने शुरू हो गए तो, अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ का लाभ पहुंचेगा। यह जीडीपी का 1.6 फीसदी होगा। उन्होंने सवाल किया, आज भी कई चुनाव एक साथ होते हैं, तो क्या यह गलत है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान चार करोड़ 85 लाख श्रमिक देश में इधर से उधर आते-जाते हैं। इससे उद्योगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मौसम भी चुनाव को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है।
अप्रैल-मई में एक साथ चुनाव कराने पर जोर
संयुक्त संसदीय समिति का मानना है कि पूरे देश में पिछले कई वर्षों से लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में कराए जा रहे है। एक सर्कल फिक्स सा हो गया है। एक साथ चुनाव के संबंध में बहुत सी बातें बाद में निर्धारित होनी है, लेकिन यह सुझाव उपयुक्त माना जा रहा है कि अप्रैल-मई का समय एक साथ चुनाव कराने के लिए सही रहेगा।
हर तकनीकी दिक्कत का निकलेगा समाधान
समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। ऐसे में एक साथ चुनाव के विपक्ष में भी यदि कोई तर्क रख रहा है, तो उसे समिति सुन रही है। उन्होंने कहा कि समिति में जितने भी सदस्य हैं, वे अलग-अलग राजनीतिक दल से हैं। उनकी दलीय प्रतिबद्धता हैं। संसद के भीतर उनकी जो भी भूमिका हो, लेकिन एक समिति के सदस्य के रूप में सब संसदीय परम्पराओं के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर तकनीकी दिक्कत का समाधान निकल जाएगा। उन्होंने बताया कि यह विचार किया जा रहा है कि एक बार एक साथ चुनाव का सर्कल तय हो जाने के बाद यदि किन्हीं कारणों से दोबारा चुनाव की नौबत आती है, तो फिर पूरे पांच साल के लिए चुनाव नहीं कराए जाएंगे। बल्कि सिर्फ शेष बची अवधि के लिए ही चुनाव होंगे। सर्कल को हर हाल में मेंटेंन रखे जाना जरूरी है।
समिति में 41 सदस्य, दो को मताधिकार नहीं
एक साथ चुनाव के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति में 41 सदस्य हैं, जिनमें से दो नामित हैं और उन्हें मताधिकार प्राप्त नहीं है। उत्तराखंड प्रवास के दौरान इन सदस्यों ने विभिन्न संगठनों, विभागों के प्रतिनिधियों से एक साथ चुनाव पर विस्तार से चर्चा की। अध्ययन दौरे के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को उत्तराखंड शासन के प्रमुख अफसरों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, बार कौंसिल के पदाधिकारियों, आईआईटी रूड़की के प्रतिनिधियों और स्थानीय हस्तियों के साथ समिति ने एक साथ चुनाव पर विस्तार से चर्चा की और सुझाव प्राप्त किए।