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Supreme Court ने क्यों खुद पटला अपना 26 साल पुराना फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने आज बदला अपना ही 26 साल पुराना फैसला। आइए जानते है कि ऐसी कौन-सी परिस्थितियां जिसमें सुप्रीम कोर्ट अपना ही फैसला पलट सकती है।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने अपना 26 साल पुराना फैसला स्वयं पलट दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट(supreme court) की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता सीता सोरेन मामले की सुनवाई करते हुए अपने ही सालों पुराने फैसले को पलट दिया है। ऐसा कहा कि रिश्वत लेकर सवाल पूछने या वोट देने वाले सांसद या विधायकों के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि सांसदों-विधायकों को अभियोजन से छूट प्राप्त है।

महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत स्टेयर डेसीसिस

सुप्रीम कोर्ट ने अपना सालों पुराना फैसला खुद ही पलट दिया है। ऐसा कैसे हो सकता है इसके लिए महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत स्टेयर डेसीसिस (stare decisis) को समझना जरूरी है। स्टेयर डेसीसिस एक कानूनी सिद्धांत है, जिसका मतलब “निर्णय की गई चीजों पर कायम रहना है।” यह अदालतों को निर्देश देता है कि वे कथित रूप से तुलनीय तथ्यों वाले मामलों को सुलझाते समय, पिछले निर्णयों का पालन करें। 

लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि पूर्व में बेंच द्वारा दिए गए फैसले पूरी तरह से सही ही हो। जिस प्रकार से परिस्थितियां आगे बढ़ती हैं, वैसे-वैसे कानून की समझ का भी विकास होता जाता है और इसी विकास के क्रम में कानूनों में बदलाव होना आवश्यक हो जाता है। इसलिए पुराने फैसलों को नई समझ के अनुसार या व्यापक समझ के अनुसार बदलना आवश्यक हो जाता है।

सुप्रीम कोर्ट कैसे बदल सकता है अपना फैसला

सुप्रीम कोर्ट कैसे अपना फैसला पलट सकता है। आइए इसको एक उदाहरण से समझते हैं। किसी खास विषय पर सुप्रीम कोर्ट के दो जज की पीठ ने अपना एक फैसला दिया है, तब वह एक नजीर है यानी वह फैसला भविष्य में सभी दो जज की पीठ के लिए उस विषय पर बाध्यकारी होगा जब तक कि पूर्व वाला फैसला किसी बड़ी बेंच द्वारा पलट ना दिया जाए। अब ऐसे में दो जज की पीठ का फैसला पलटने के लिए मुख्य न्यायाधीश द्वारा तीन जजों की बेंच का गठन किया जाएगा। 

फैसला पलटने का मौका तब आएगा जब दो जजों की बेंच उसी विषय पर पुराने फैसले को मानने से इंकार करेगा या संदेह व्यक्त करेगा। इस स्थिति में मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास रखा जाएगा। जिससे वो उसे 3 जज की बेंच के पास रेफर कर सकें। जब तीन जजों की बेंच उस विषय पर कोई फैसला देगी तो वह आगे के लिए सर्वमान्य हो जाएगा। ऐसा होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का खुद का फैसला ही पलट जाएगा।

इस उदाहरण के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि कैसे सुप्रीम कोर्ट ने अपना 26 साल पुराना फैसला खुद ही पलट दिया था। 

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