इस वक़्त उत्तराखंड में हर ओर समान नागरिक संहिता की ही बात चल रही है। गठित समिति द्वारा सीएम धामी को UCC पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सीएम धामी के वादेनुसार प्रदेश में जल्द ही यूसीसी कानून लागू होगा। इस कानून को समर्थन देने के लिए तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने के मामले से चर्चित हुई सायरा बानो का भी बयान सामने आया है और उन्होंने इस कानून को मुस्लिम समुदाय के लिए फायदेमंद बताया है। सायरा बानो ने न सिर्फ खुद बल्कि बाकि मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी इस कानून के पक्ष में आगे आने की बात कही है।
सायरा बानो ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को इसका सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। सायरा ने मुस्लिम समुदाय को भी यूनिफॉर्म सिविल कोड के हक में सामने आने की अपील की है।
कौन है सायरा बानो
तीन तलाक, बहुविवाह व निकाह हलाला पर बैन लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली सायरा बानो पहली महिला थी। तीन तलाक के इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने पर देश में यह मामला तेजी से चर्चाओं में आया था। दरअसल, उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली सायरा की शादी 2002 में इलाहाबाद के प्रॉपर्टी डीलर रिजवान अहमद से हुई थी। सायरा के दो बच्चे भी हैं।
उनका आरोप था कि शादी के बाद उन्हें हर दिन प्रताड़ित किया जाता था। पति हर दिन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करता था। लेकिन 2016 में उसने बिना कोई कारण बताए तीन तलाक के जरिए उसे तलाक दे दिया। पति ने उन्हें टेलीग्राम के जरिए तलाकनामा भेजा। वे एक मुफ्ती के पास गईं तो उसने कहा कि यह तलाक पूरी तरह से जायज है।
इस पर सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथाओं के साथ-साथ तलाक-ए-बिद्दत की संवैधानिकता को चुनौती दे डाली थी। कोर्ट ने शायरा बानो की याचिका स्वीकार कर ली और 2017 में पांच जजों की संवैधानिक पीठ का गठन किया। पहली सुनवाई 11 मई 2017 को हुई और उसी साल 22 अगस्त को मामले पर अपना फैसला सुनाया।
एक लंबी लड़ाई के बाद भारत सरकार ने भी इस पर कानून बनाकर मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को तीन तलाक की व्यवस्था से निजात दिलवाई और ऐसे में सायरा बानो तीन तलाक प्रथा को खत्म करने में भी कामयाबी हासिल की।