देहरादून के एक नामचीन सरकारी आवासीय शिक्षण संस्थान में संगीत शिक्षक द्वारा दृष्ट बाधित छात्रा के साथ दुष्कर्म और अन्य दृष्ट बाधित छात्राओं के साथ गंदी हरकतें करने पर न्यायालय ने आरोपी शिक्षक को कुल 55 हजार रुपये का भुगतान और 20 साल कैद की सजा सुनाई है। पीड़िताओं की शिकायत पर तत्कालीन उप प्रधानाचार्य को भी कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए छ माह की कैद सुनाई है। और वाइस प्रिंसिपल पर पांच हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।
2018 अगस्त में हुई थी घटना
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कविता शर्मा की अध्य्क्षता में अगस्त 2018 को शिक्षण संस्थान में दृष्टिबाधित छात्राओं के साथ छेड़खानी की मिली शिकायत पर जांच की गई। जांच के बाद अध्यक्ष कविता शर्मा की ओर से संस्थान के संगीत शिक्षक सुचित नारंग के खिलाफ दुष्कर्म और छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस द्वारा की गई जांच में नौ दृष्टि बाधित छात्राओं के साथ इस तरह की घटना होने की बात सामने आई। बात की पुष्टि होने पर पता चला कि सुचित नारंग इन छात्राओं को संगीत कक्षा में बुलाता था। वहां पर उनसे गंदी हरकतें करता था। सुचित पर आरोप था कि उसने इन छात्राओं में से एक के साथ दुष्कर्म भी किया।
प्रबंधन भी छिपाता रहा बात
पीड़िताओं ने इसकी शिकायत जब प्रबंधन से की तो प्रबंधन भी इस बात को छुपाने में लगा रहा। तत्कालीन वाइस प्रिंसिपल डॉ. अनुसूइया शर्मा ने भी इस मामले को दबाने की कोशिश की। दूसरे कर्मचारियों और छात्रा के अभिभावकों से गवाही न देने को कहा। पीड़िताएं संसथान के हर अधिकारी के पास गई लेकिन उनकी बात को सबने अनसुना कर दिया। जब उनकी बाते किसी ने नहीं सुनी तो उन्होंने खुद ही विद्रोह करना शुरू कर संस्थान पर ताले लगा दिए। मामला जब गंभीर हुआ तो तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री रेखा आये ने छात्राओं से बात करि और केंद्र सरकार के आदेश पर उस शामे डायरेक्टर अनुराधा डालमिया को भी हटना पड़ा था।
इनके खिलाफ हुई चार्जशीट दाखिल
पूरे मामले में पुलिस ने प्राथमिक जांच करने के बाद शिक्षक सुचित नारंग, तत्कालीन डायरेक्टर अनुराधा डालमिया, वाइस प्रिंसिपल अनुसूइया शर्मा, छात्रा की अभिभावक और लखनऊ के आश्रम की कर्मचारी पूर्णिमा के खिलाफ पोक्सो की विभिन्न धाराओं में चार्जशीट दाखिल की।
आरोपी शिक्षक भी है दृष्ट बाधित
इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से कुल दो गवाह पेश किए गए थे। बचाव ने सजा के प्रश्न पर तर्क दिया कि शिक्षक सुचित नारंग देख नहीं सकते हैं। लिहाजा उन्हें कम से कम सजा दी जाए। लेकिन, अभियोजन ने इस मामले में मजबूत तर्क प्रस्तुत किए। अभियोजन की ओर से कहा गया कि सुचित के प्रति दया का कोई भाव नहीं होना चाहिए। क्योंकि, जिस छात्रा के साथ उसने दुष्कर्म किया वह भी देख नहीं सकती थी।