उत्तराखंड: परिवहन निगम में करोड़ों का घपला, सड़क पर चले बिना ही फास्टटैग का भुगतान
उत्तराखंड परिवहन निगम की आडिट रिपोर्ट में कबाड़ बसों की नीलामी में भी 1.32 करोड़ रुपये का घपला सामने आया है। कई अनियमितता का हुआ खुलासा।
उत्तराखंड परिवहन विभाग में एक बड़े घपले की बात सामने आई है। विभाग की आडिट रिपोर्ट में कबाड़ बसों की नीलामी में भी 1.32 करोड़ रुपये की अनियमितता का खुलासा हुआ है। महालेखाकार कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 से 2023 के दौरान देहरादून, नैनीताल व टनकपुर मंडल में बसों की नीलामी की धनराशि में बड़ी संख्या का अंतर पाया गया है। परिवहन निगम ने बसों की नीलामी 7.09 करोड़ रुपये दर्शायी, जबकि टीसीएस रिटर्न में यह कीमत 8.42 करोड़ रुपये बताई गई। कहा जा रहा है कि फिलहाल परिवहन निगम के पास इस बात का कोई ठोस जवाब नहीं है।
टूटे कैमरे और बंद जीपीएस
आडिट रिपोर्ट के अनुसार मार्च-2023 तक परिवहन निगम में कुल 1243 बसें (919 परिवहन निगम की अपनी और 324 अनुबंधित) संचालित हो रही थीं। यात्रियों की सुरक्षा व बसों की निगरानी के लिए सभी बसों में कैमरे व जीपीएस लगाए जाने थे, जिसके टेंडर एक ठेकेदार को दिए गए। जांच में पाया गया कि बसों की निगरानी के लिए परिवहन निगम ने कोई व्यवस्था ही नहीं बनाई। वाल्वो बसों के अतिरिक्त अन्य सभी बसों में कैमरे टूटे हुए थे और जीपीएस भी बंद थे।
बसों के ठहराव के लिए अनुबंधित ढाबों पर भी सवाल
बसों के ठहराव के लिए अनुबंधित ढाबों के अनुबंध पर भी सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि टेंडर किसी और व्यक्ति ने डाला जबकि ठेका किसी और को दिया गया। निगम को वर्ष 2022-23 में 4.11 करोड़ रुपये की आय अनुबंधित ढाबों से हुई, लेकिन निगम अनुबंधित फर्म से जुड़ी अन्य सुविधाओं की जानकारी नहीं दे सका। बता दें कि, इस मामले में निगम अधिकारियों के विरुद्ध विजिलेंस जांच भी चल रही है।
खराब उपकरणों का हो रहा उपयोग
आडिट रिपोर्ट के अनुसार बसों में लगने वाले उपकरणों के सैंपल जांच एजेंसी में फेल होने के बावजूद उनका उपयोग कर लिया गया। बसों के लिए खरीदे जाने वाले उपकरणों के सैंपल को लेकर भी वित्तीय अनियमितता एवं गड़बड़ी पाई गयी है। नवंबर 2021 से मार्च 2023 के दरमियान 43 सैंपल सीआइआरटी पुणे में जांच के लिए भेजे गए, जिनमें चार सैंपल फेल हो गए। जांच रिपोर्ट आने से पूर्व ही 8.55 लाख रुपये के यह उपकरण खरीद लिए गए और बाद में कटौती कर फर्म को 7.80 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया।