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सीएम धामी ने मजदूरों को बाटें एक-एक लाख के चैक, एम्स ऋषिकेश में होगा आगे का उपचार

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सीएम धामी ने एक-एक लाख रुपये की राहत राशि बाँटी। प्राथमिक उपचार के बाद इन मजदूरों को आज एम्स ऋषिकेश शिफ्ट कर दिया जाएगा ।

उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा टनल में 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को मंगलवार देर शाम सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ पहुंचकर मजदूरों से मुलाकात की और उन्हें एक-एक लाख रुपये की राहत राशि दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मजदूरों की सकुशल वापसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार ने कड़ी मेहनत की। रेस्क्यू टीम के सदस्यों के साहस और समर्पण की भी उन्होंने प्रशंसा की।

41 श्रमिक “चिनूक” से शिफ्ट किए जाएंगे एम्स ऋषिकेश

उत्तरकाशी टनल हादसे से बचाए गए 41 कर्मचारी चिन्यालीसौड़ में भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान चिनूक में बैठ गए हैं। जिन्हें आगे की चिकित्सा जांच के लिए एम्स ऋषिकेश ले जाया जा रहा है।

चिनूक हेलिकॉप्टर द्वारा पहले उत्तरकाशी से एम्स हेलीपैड पर सभी श्रमिकों को ले जाया जाएगा। यदि एम्स के हेलीपैड पर हेलिकॉप्टर को लैंडिंग में कोई दिक्कत हुई तो चिनूक की लैंडिंग देहरादून एयरपोर्ट पर कराई जाएगी। जहां से एंबुलेंस द्वारा सभी 41 श्रमिकों को ऋषिकेश एम्स ले जाया जाएगा। एम्स ऋषिकेश में मजदूरों की सघन जांच की जाएगी। इसके बाद उन्हें उनके घर भेजा जाएगा।

 

पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद

सिलक्यारा उत्तरकाशी में सुरंग से निकल गए श्रमिकों को एम्स ऋषिकेश लाये जाने की सूचना के बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारी यहां पहुंच गए हैं। हेलीपैड को चारों तरफ से कवर करके आमजन का यहां प्रवेश निषेध कर दिया गया है। सभी एंबुलेंस मौके पर तैनात कर दी गई है। चिकित्सक और स्टाफ भी यहां मौजूद है।

उत्तरकाशी सुरंग हादसे का रेस्क्यू ऑपरेशन कैसे हुआ ?

सिलक्यारा टनल में 17 नवंबर को एक दुर्घटना हुई थी। टनल में काम कर रहे 41 मजदूर मलबे में दब गए थे। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और स्थानीय प्रशासन की टीमें लगी थीं।

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मलबे को हटाने के लिए भारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही, मजदूरों से संपर्क करने के लिए ड्रिल करके एक पाइप डाला गया था। इस पाइप के माध्यम से मजदूरों को भोजन, पानी और दवाइयां दी गई थीं। रेस्क्यू ऑपरेशन के 17वें दिन, 28 नवंबर को सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

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