मेडिकल परीक्षा नीट में असफल छात्रों को सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। प्रकरण में फिलहाल चार आरोपितों का नाम सामने आया है, जिन्होंने जीएमएस रोड पर कोचिंग इंस्टीट्यूट खोल रखा था। मामले का पता तब चला जब आरोपित रातोंरात इंस्टीट्यूट बंद कर फरार हो गए। कॉलेज में एडमिशन के नाम पर ठगे गए करीब 50 से ज़्यादा पीड़ित सामने आ चुके है। जिनसे दाखिले के नाम पर ढाई से तीन लाख रुपये लिए गए। ठगी गई रकम व पीड़ितों की संख्या और बढ़ सकती है।
जब ठगी का पता चला तो पीड़ित छात्रों और इंस्टीट्यूट में कार्यरत स्टाफ ने पटेलनगर कोतवाली में तहरीर दी है। बताया जा रहा है कि आरोपितों ने फर्जी दस्तावेजों से इंस्टीट्यूट के लिए भवन किराये पर लिया था और उसका भी किराया नहीं चुकाया साथ ही इंस्टीट्यूट में रखे स्टाफ को आरोपितों ने कई माह से वेतन भी नहीं दिया था।
पुलिस के मुताबिक, 25 अक्टूबर को 13 युवतियों ने शिकायती पत्र देकर बताया कि विनायक समेत चार व्यक्तियों ने जीएमएस रोड पर इसी वर्ष जुलाई में एक्सीलेंट एजुकेशन नाम से कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला था।
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) निवासी केके राय ने पुलिस के पास मुकदमा दर्ज कराते हुए बयान दिया की उनके भतीजे मुकेश ने एमबीबीएस में दाखिले के लिए नीट दिया था, लेकिन वह चार नंबर से चूक गया। जिसके बाद वह आरोपियों के सम्पर्क में आये थे। आरोपी विनायक का कहना था कि जो छात्र नीट में बेहद कम नंबर से चूक जाते हैं, वह उन्हें भारत सरकार के विशेष कोटे के तहत मेडिकल कालेजों में दाखिला दिलाते हैं।
उन्होंने सबसे पहले 50 हजार रुपये का बैंक ड्राफ्ट स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के नाम से बनवाया। भारत सरकार के नाम से बैंक ड्राफ्ट बनवाने के कारण राय को उन पर विश्वास हो गया। इसके बाद आरोपितों ने एमबीबीएस में दाखिले की फीस 35 लाख रुपये बताई और 2.60 लाख रुपये टोकन मनी के रूप में बैंक आफ इंडिया की आइएसबीटी शाखा में जमा करवा लिए।
आरोपितों ने बाद में उनसे पांच लाख रुपये और मांगे। इस पर वह शनिवार को आरोपितों से मुलाकात करने दून पहुंचे। यहां कोचिंग इंस्टीट्यूट पर ताला लटका देख उन्हें ठगी का पता चला और वह फौरन पुलिस के पास पहुंचे।