उत्तराखंडधर्म-संस्कृति

शिव-पार्वती विवाह स्थल ‘त्रियुगीनारायण मंदिर’ का होगा जीर्णोद्धार

शिव-पार्वती की विवाह स्थली त्रियुगीनारायण मंदिर के जीर्णोद्धार और मंदिर के धरोहरों को सरंक्षित करने के लिए बन रही योजना।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग पर जिला मुख्यालय से करीब 83 किमी दूर त्रियुगीनारायण मंदिर का एक अलग महत्व है यहाँ भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था जिसका साक्षी है यहां अखंड ज्योति है जो तीन युगों से अनवरत जल रही है। देव विवाह के कई प्रमाण मंदिर में मौजूद हैं। जिस कारण यहाँ साल भर श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है और अब तो लोगो द्वारा इस स्थान में विवाह करने की रूचि भी बेहद बढ़ गयी है। इस वर्ष 4.25 लाख से अधिक श्रद्धालु शिव-पार्वती विवाह स्थली के दर्शन कर चुके हैं।

एक धार्मिक स्थल के रूप में लाखों की संख्या में दर्शन करने आ रहे श्रद्धालुओं को देखते हुए अब श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने त्रियुगीनारायण मंदिर के पुनरोद्धार की योजना बनाई है।

रुद्रप्रयाग स्थित शिव-पार्वती की विवाह स्थली त्रियुगीनारायण मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए और साथ ही मंदिर परिसर में मौजूद छोटे-छोटे मंदिर व अन्य धार्मिक धरोहरों को सरंक्षित करने के लिए श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने कार्ययोजना तैयार कर ली है। मंदिर की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए त्रियुगीनारायण मंदिर को तीर्थाटन डेस्टिनेशन के रूप में विक्षित किया जायगा जहां मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाई जाएंगी।

त्रियुगीनारायण मंदिर में सात कुंड हैं, जिसमें ब्रह्मकुंड, रुद्रकुंड, विष्णुकुंड, सूरज कुंड, सरस्वती कुंड, नारद कुंड और अमृत कुंड है। इन सभी को भी संरक्षित किया जाएगा। खास बात है कि ब्रह्मकुंड, विष्णुकुंड और रुद्रकुंड में जल सरस्वती कुंड से आता है। मान्यता है कि सरस्वती कुंड की स्थापना भगवान विष्णु ने अपनी नाभी से की थी। इस कुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है।

त्रियुगीनारायण मंदिर में मौजूद छोटे-छोटे मंदिरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें संरक्षित करेगी। जारी निवास के साथ ही यहां मूलभूत सुविधाएं भी दुरुस्त की जाएंगी। आने वाले सभी यात्रियों की सुविधाओं के लिए बेहतर विकल्प तैयार किये जायंगे। मुख्य मंदिर की छतरी और झालर का पुनरोद्धार किया जाएगा। साथ ही छत की मरम्मत की जाएगी। मंदिर समिति के अनुसार, यात्राकाल के साथ-साथ अन्य समय में भी श्रद्धालु मंदिर में पहुंचते रहे, इसे लेकर धार्मिक स्थल को विस्तार देकर सुविधाएं जुटाई जाएंगी।

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