निपाह वायरस का ‘RED ALERT’, हल्की सी लापरवाही और मौत से सामना
दो सालों तक जिस तरह से कोरोना वायरस ने तबाही मचाई थी । उससे शायद ही कोई ऐसा होगा जो अनजान हो। हर तरफ अस्प्तालों में मरीज़ों की भीड़, बढ़ती मौतों की संख्या, डरे सहमे सब अपने घरो में कैद, हर तरफ लगे लॉक डाउन के कारण परेशान लोग। मुश्किल से सँभली उस स्थिति को कोई अब सपने में भी देखना पसंद नहीं करेगा।
कोरोना से भी ज्यादा ख़तरनाक निपाह वायरस की दस्तक से पूरे देश में स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है। देश के केरल राज्य में 6 मरीज़ो में हुई पुष्टि और 2 मरीज़ों की मौत पर न सिर्फ केरल में बल्कि अन्य सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट मोड पर है। स्वास्थ्य महकमे के बड़े जानकार बताते है की निपाह वायरस को हल्के में लेना सबकी भूल हो सकती है। यह वायरस कोरोना के वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। लेकिन अब एक बार फिर लोगों को कोरोना वायरस के दौर में किये गए एतिहात एक बार फिर बरतने की जरूरत है वजह है मौत का वायरस ‘निपाह वायरस’
क्या होता है निपाह वायरस :
निपाह वायरस एक तरह से चमगादड़ से पैदा होने वाला वायरस है जो की ज़ूनोटिक वायरस है। जो कि मनुष्यों और अन्य जानवरों में निपाह वायरस संक्रमण का कारण बनता है, एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिसमें मृत्यु दर बहुत अधिक होती है।
निपाह वायरस की शुरुवात :
दुनिया में पहली बार निपाह वायरस 1998-99 में मलेशिया और सिंगापुर में सूअरों और लोगों में बीमारी फैलने के बाद खोजा गया था। निपाह वायरस इतना खतरनाक रूप ले चूका था की इस वायरस की चपेट में लगभग 300 मानव मामले और 100 से अधिक मौतें हुईं, और काफी आर्थिक प्रभाव पड़ा क्योंकि प्रकोप को नियंत्रित करने में मदद के लिए 1 मिलियन से अधिक सूअर मारे गए थे। दरअसल, निपाह नाम मलेशिया के उस गांव से आया है, जहां सबसे पहले जिस व्यक्ति से वायरस निकाला गया था और उसकी पहचान की गई थी, वह इस बीमारी का शिकार हो गया।
भारत में पहला मामला :
भारत में, निपाह वायरस बीमारी का पहला प्रकोप 2001 में सिलीगुड़ी शहर में हुआ था, इसके बाद 2007 में पश्चिम बंगाल राज्य के नादिया जिले में इसका दूसरा प्रकोप हुआ था। 2018 में, कोझिकोड जिले में एक प्रकोप की सूचना मिली थी, और 2019 में, केरल राज्य में, कोच्चि जिले में एक और प्रकोप सामने आया था। टेरोपस एसपीपी के चमगादड़ । केरल राज्य में 2018 के प्रकोप का संभावित स्रोत थे।
कैसे फैलता है यह वायरस :
निपाह वायरस एक बीमारी है जो जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती है। संक्रमित रोगियों के परिवार और देखभाल करने वालों में यह वायरस फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। यह इतना घातक वायरस और संक्रमित वायरस है जिसका इंसानों के साथ-साथ जानवरों के लिए भी अभी तक कोई टीका और इलाज नहीं है। निपाह वायरस का संक्रमण भी ठीक उसी प्रकार फैलता है जैसे कोविड-19 संक्रमण फैला था। किसी भी संक्रमित व्यक्ति के खांसने , छीकने , उसके सांस छोड़ते समय या उसके नाक या मुंह से निकली छोटी बूंदों से यह रोग दूसरे में फैल सकता है। वही उस व्यक्ति के छींकते समय दूसरी चीजों और सतहों पर भी वह संक्रमण फ़ैल सकता है जिससे यह और भी लोगो तक आसानी से पहुंच सकता है।
निपाह वायरस के लक्षण :
निपाह वायरस के लक्षण भी कोविड-19 से काफी मिलते झूलते है जैसे –
बुखार
सिरदर्द
मांसपेशियों में दर्द ( माइलियागिया )
उल्टी करना
गला खराब होना
वही अगर यह लक्षण पाएं जाते है तो स्तिथि और भी गंभीर हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
चक्कर आना
तंद्रा
परिवर्तित चेतना
तीव्र एन्सेफलाइटिस
असामान्य निमोनिया
गंभीर श्वसन संकट
दौरे
कैसे करें बचाव :
निपाह वायरस के संक्रमण का मुख्य कारण फल वाले चमगादड़ हैं, इसलिए जिन लोगों के पास घरेलू जानवर हैं या खेत में जानवर हैं, उन्हें जानवरों को चमगादड़ से दूषित फल खाने से रोकना चाहिए।
सूअर पालने वाले लोग यदि सूअरों को खुले सूअर शेडों में पाला जाता है तो फल चमगादड़ों और सूअरों के बीच संपर्क को रोकने के लिए तार स्क्रीन लगाने पर विचार कर सकते हैं।
संक्रमण को रोकने के लिए संक्रमित सूअरों, चमगादड़ों और मनुष्यों के साथ किसी भी प्रकार के सीधे संपर्क से बचना अनिवार्य है।
उन पेड़ों पर न चढ़ें जिन पर आपको संदेह हो कि उनमें चमगादड़ों का स्राव जैसे लार या मल मौजूद हो ।
संक्रमित रोगी के साथ भोजन, बिस्तर और शौचालय साझा करने से बचें। छींकने या खांसने वाले एनआईवी रोगी के करीब न रहें और सुनिश्चित करें कि संक्रमित व्यक्ति की लार के संपर्क में न आएं।
निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति के मूत्र में वायरस के अंश होते हैं, इसलिए किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ शौचालय साझा करते समय सावधान रहें।
बार बार हाथ धोएं, और सैनीटाइज़र का भी नियमित उपयोग करें।
क्या है निपाह वायरस का इलाज़ :
फिलहाल तो अभी तक कोई ऐसा इलाज़ की खोज नहीं हो पायी है जिससे यह संक्रमण जल्द ही ठीक हो जाये। यदि आप पर वायरस के लक्षन्द दिखाई देते है तो संक्रामक रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना बेहद अहम है। निपाह वायरस संक्रमण से पीड़ित रोगी के लिए जरूरी है सही देखभाल। लेकिन ध्यान रहे की देखभाल करने वाले को सावधानी बरतने की जरूरत है कि संक्रमण उस तक न फैले। संक्रमित व्यक्ति को सहायता प्रदान करते समय, देखभाल करने वाले को मास्क, टोपी पहनना, दस्ताने पहनना और हाथ धोना जैसी बुनियादी सावधानियां बरतनी चाहिए।