इस बार Masik Shivratri पर बन रहा है विशेष योग, जानिए
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। आइए जानते है इस माह में कब मनाई जाएगी मासिक शिवरात्रि और कितना महत्वपूर्ण होगा विशेष योग।
मासिक शिवरात्रि(masik shivratri) हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि(shivratri) पर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। बता दें कि वर्तमान में चल रहे अश्विन माह की मासिक शिवरात्रि का सभी भक्तजनों को दोगुना लाभ हासिल होगा।
मासिक शिवरात्रि(shivaratri 2023) विशेष योग
अश्विन मासिक शिवरात्रि के दिन शुभ और शुक्ल योग का संयोग बन रहा है। बता दें कि शुभ योग में शिव पूजा करने से समस्त कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
- शुभ योग – 10 अक्टूबर 2023, सुबह 07.47 – 11 अक्टूबर 2023, सुबह 08.42
- शुक्ल योग – 11 अक्टूबर 2023, 08.42 – 12 अक्टूबर 2023, सुबह 09.30
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
- अश्विन माह की चतुर्दशी तिथि शुरू – 12 अक्टूबर 2023, शाम 07 बजकर 53
- अश्विन माह की चतुर्दशी तिथि समाप्त – 13 अक्टूबर 2023, रात 09 बजकर 50
- शिव पूजा समय – रात 11.43 – प्रात: 12.33, 13 अक्टूबर
मासिक शिवरात्रि महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि को शिव और शक्ति के संगम का त्योहार या पर्व कहा जाता है। वह कन्याएं जिनका लंबे समय से विवाह नहीं हो रहा होता है, यदि वह कन्याएं पूरे श्रद्धा भाव से मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखती है तो उनके विवाह का योग जल्द बन जाता है। इसके साथ ही वह कन्याएं जो मनोवांछित वर पाना चाहती है उनकी भी इच्छा भोले बाबा पूरी कर देते है।
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
- मासिक शिवरात्रि वाले दिन सबसे पहले स्नान करें
- स्नान के बाद मंदिर जाकर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी) की पूजा करें।
- पूजा की शुरूआत में सबसे पहले शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल करें जिसमें शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि का प्रयोग करें। मान्यता अनुसार भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं।
- इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ़ किये होने चाहिए।
- फिर भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करे।
- शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें।आरती करें।
Disclaimer: यहां मौजूद सूचना सामान्य जानकारियों पर आधारित है। इन मान्यताओं की पुष्टि के लिए संबंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।