उज्जैन में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में पुलिस के हाथ खाली
भोपाल, 28 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के उज्जैन में बलात्कार की शिकार नाबालिग लड़की फिलहाल खतरे से बाहर है। मामले के तीन दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं।
इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (एमजीएमसी) के डॉक्टरों की एक टीम ने कहा कि उसके निजी अंगों की सर्जरी की गई, हालांकि, उसे ठीक होने में समय लगेगा।
पीड़िता को मंगलवार को उज्जैन में प्राथमिक उपचार के बाद इंदौर रेफर किया गया था, जहां एक पुलिसकर्मी ने उसके लिए रक्तदान किया।
इस चौंकाने वाली घटना से उज्जैन जिला पुलिस सकते में आ गई है।
लड़की के मिलने के तीन दिन बाद भी पुलिस को पीड़िता और आरोपी की पहचान के बारे में कोई निर्णायक सबूत नहीं मिले हैं।
पुलिस अभी तक उस स्थान का पता नहीं लगा पाई है जहां अपराध हुआ था।
उज्जैन के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सचिन शर्मा ने घटना के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, “शहर के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया है। हमने एक संदिग्ध (ऑटो चालक) से पूछताछ की है, लेकिन हम अभी तक किसी निर्णायक सबूत तक नहीं पहुंच पाए हैं।”
शर्मा ने यह भी कहा कि दस्तावेज के अभाव में पीड़िता की उम्र की पुष्टि नहीं की गई है। पीड़िता इंदौर कैसे पहुंची और उसके साथ वारदात को किसने अंजाम दिया, यह अब तक पहेली बनी हुई है।
जैसा कि पीड़िता की भाषा के लहजे से पता चलता है कि वह प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) की हो सकती है, इसका पता लगाने के लिए पुलिस की एक टीम वहां भेजी गई है।
कुछ स्थानीय मीडिया रिपोर्टों से पता चला कि लड़की को सोमवार सुबह 3 बजे के आसपास स्कूल ड्रेस में घूमते हुए देखा गया था। सवाल यह पूछा जा रहा है कि अगर लड़की रात में सड़क पर घूम रही थी तो रात्रि गश्त कर रही पुलिस टीमों की नजर उस पर कैसे नहीं पड़ी?
ऐसे कई सवाल हैं जिनका पुलिस को आने वाले दिनों में जवाब देना है, जिसमें उसके माता-पिता कहां हैं और क्या उसकी मां के साथ भी बलात्कार हुआ था, जैसा कि पीड़िता ने कथित तौर पर कहा है।
पीड़िता को उज्जैन के एक पुजारी ने देखा, जिसने उसे भोजन और कपड़े दिए और पास के पुलिस स्टेशन को जानकारी दी।
आश्रम के पुजारी ने मीडियाकर्मियों को बताया, “सोमवार सुबह लगभग 9 बजे, मैं किसी काम के लिए आश्रम से बाहर जा रहा था, तभी मैंने गेट के पास लहूलुहान और अर्धनग्न लड़की को देखा। उसके शरीर से खून बह रहा था। वह बोल नहीं पा रही थी। उसकी आंखें सूजी हुई थीं। मैंने 100 नंबर पर कॉल किया। जब मैं हेल्पलाइन पर पुलिस तक नहीं पहुंच सका, तो मैंने महाकाल पुलिस स्टेशन से संपर्क किया और उन्हें स्थिति के बारे में सूचित किया। पुलिस लगभग 20 मिनट में आश्रम पहुंच गई।”
–आईएएनएस
एमकेएस