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दिल्ली हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न का मामला रद्द किया, आरोपी को बालिका आश्रय गृह में योगदान देने का दिया निर्देश

नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने संबंधित पक्षों के बीच समझौते के बाद यौन उत्पीड़न के एक मामले को खारिज कर दिया है। हालांकि, उसने आरोपी को यहां लड़कियों के लिए एक आश्रय गृह में 25 हजार रुपये मूल्य के ऊनी कंबल देने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने प्राथमिकी को रद्द करने के आरोपी के अनुरोध को इस शर्त पर स्वीकार कर लिया कि याचिकाकर्ता ऊनी कंबल के रूप में 25 हजार रुपये का योगदान करेगा, जिसे वह दिल्‍ली के कश्‍मीरी गेट स्थि‍त किलकारी रेनबो होम फॉर गर्ल्स को प्रदान करेगा।

प्राथमिकी 2014 में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी, जिसमें धारा 354 (एक महिला का शील भंग करना), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354 डी (पीछा करना), 506 (आपराधिक धमकी), और 509 (किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से किसी शब्‍द, इशारा या कृत्‍य का इस्‍तेमाल करना) शामिल हैं।

आरोपी ने तर्क दिया कि, समय के साथ और रिश्तेदारों, सामान्य मित्रों और परिवारों के हस्तक्षेप से, उसने और शिकायतकर्ता ने सौहार्दपूर्ण ढंग से मामले को सुलझा लिया है। उनके बीच एक समझौता हुआ है।

शिकायतकर्ता ने भी प्राथमिकी रद्द करने पर कोई आपत्ति नहीं जताई क्योंकि मामला सौहार्दपूर्ण ढंग से निपट गया है।

राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले सहायक लोक अभियोजक अमित साहनी ने भी कहा कि प्राथमिकी रद्द करने पर कोई आपत्ति नहीं है।

अदालत को सूचित किया गया कि मामले की सुनवाई पहले ही समाप्त हो चुकी है, और मामला ट्रायल कोर्ट के समक्ष अंतिम बहस चरण में है।

न्यायाधीश ने न्याय के हित में और पक्षों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए कार्यवाही को रद्द करने का फैसला किया। उन्‍होंने कहा कि इन्हें जारी रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि दोनों पक्षों ने पारस्परिक रूप से अपने विवादों को सुलझा लिया है।

–आईएएनएस

एकेजे

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